घोसला
क्रम्श से आगे..
बच्चे का धक्का लगने से मेरे हाथ मे पकडा डण्डा थोडा हिला ओर सन्तलुन बिगडने के कारण जाली बिल्ली के मुंह पर लगी, ओर वो शायद डर गई, ओर डर के उस जगह से उछली, जब उछली तो छत से टकराई, ओर फ़िर सीधी १० मीटर के करीब नीचे जमीन पर गिरी, ओर गिरते ही एक बार उछली ओर फ़िर जमीन पर सीधी लेट गई, सभी नीचे भागे देख कही मर तो नही गई, लेकिन अभी उस की सांस चल रही थी, ओर आस पास कही खुन भी नही था,कोई झट से बिल्ली बाले को भी बुला लाया,वह गोरा हमारा पडोसी था,जिस से अच्छी राम राम थी, अभी उसे सारी बात बता ही रहे थे कि बिल्ली मियाउ मियाउ करके भाग गई, ओर सभी हंसने लगे, बात खत्म ,अब दे्खा तो चिडिया ओर चिडा भी मजे से बेठे हमे देख रहे थे,जेसे हमे धन्यवाद कर रहे हो,ओर कुछ ही दिनो मे चिडियां के बच्चे अपनी चोचं अपने घोसला से बाहर निकाल कर देखते थे,सारा दिन चीची लगी रहती हे, हम सोच रहे थे की हर साल की तरह से चिडिया इन्हे फ़िर से उडना सिखाये गी, ओर फ़िर यह पक्षी थोडे समय बाद उडना सीख जाते हे, ओर मां बाप के साथ रहते हे या नही पता नही फ़िर पतझड मे कही गरम देश मे चले जायेगे...
यह दोनो फ़ोटो हमारे घर के पाचवे सद्स्य हेरी की हे, बिलकुल बच्चो सा,बहुत ही छोटा सा था, जब इसे ले कर आये थे,शायद एक हाथ मे ही आ जाता था... ओर अब आप खुद ही देख लो,
एक दिन मुझे अदलत का एक पत्र मिला, मे उसे पा कर हेरान सा हुआ, खोलने पर पता चला की मेरे पडोसी ने जीव हत्या करने की कोशिश करने पर मेरे उपर मुकदमा ठोंक दिया हे, दुसरे दिन मे अदालत मे गया, वहा से कुछ पता नही चला तो एक वकील से सलाह लेने गया, तो उस बकील ने सारी बात सुनी, ओर राय दी की तुम्हे किसी भी वकील की जरुरत नही, बस एक पत्र लिख कर या टाईप करके ओर सारी कहानी उस मे लिख कर अदालत को भेज दो, कुछ ही दिनो मे फ़ेसला आ जाये गा,वकील को मेने धन्यावाद किया घर आ कर बेटे ने एक पत्र पुरी बात समेत अदालत के नाम लिख कर भेज दिया, साथ मे यह भी लिख दिया की आप का फ़ेसला मुझे मंजुर होगा जो फ़ेसला भी आप करे गे, लेकिन मेने बिल्ली को जान बुझ कर नही गिराया. मे तो दुसरे चार जीवो को बचाने की कोशिश कर रहा था,ओर बिल्ली को भी नुकसान नही पहुचाना चाहता था,
तीन सप्ताह बाद फ़ेसला मेरे हक मे आया, ओर इस दोराना चिडिया के बच्चे भी काफ़ी बडे हो गये थे, एक दिन देखा कि चिडिया के बच्चे बाहर आंगन मे उड रहे हे, ओर साथ साथ चिडिया ओर चिडा भी शायद उन्हे सीखा रहे थे,ओर हमे डर था कही हेरी उन्हे नुकसान ना पहुचाये, लेकिन हेरी भी उन्हे देख कर, ओर सुंघ कर वापिस आ जाता था, फ़िर कुछ दिन बाद यह सब पता नही कहां उड कर चले गये,अगली बार फ़िर से आये गे, लेकिन अब मेने वहां जाने वाले रास्ते पर थोडी कीले लगा दी हे.
लेकिन इन सब बाते से मेने देखा हमारी तरह से पक्षी भी तडपते हे अपने बच्चो के लिये,ओर वो भी भावन्ये रखते हे,
क्रम्श से आगे..
बच्चे का धक्का लगने से मेरे हाथ मे पकडा डण्डा थोडा हिला ओर सन्तलुन बिगडने के कारण जाली बिल्ली के मुंह पर लगी, ओर वो शायद डर गई, ओर डर के उस जगह से उछली, जब उछली तो छत से टकराई, ओर फ़िर सीधी १० मीटर के करीब नीचे जमीन पर गिरी, ओर गिरते ही एक बार उछली ओर फ़िर जमीन पर सीधी लेट गई, सभी नीचे भागे देख कही मर तो नही गई, लेकिन अभी उस की सांस चल रही थी, ओर आस पास कही खुन भी नही था,कोई झट से बिल्ली बाले को भी बुला लाया,वह गोरा हमारा पडोसी था,जिस से अच्छी राम राम थी, अभी उसे सारी बात बता ही रहे थे कि बिल्ली मियाउ मियाउ करके भाग गई, ओर सभी हंसने लगे, बात खत्म ,अब दे्खा तो चिडिया ओर चिडा भी मजे से बेठे हमे देख रहे थे,जेसे हमे धन्यवाद कर रहे हो,ओर कुछ ही दिनो मे चिडियां के बच्चे अपनी चोचं अपने घोसला से बाहर निकाल कर देखते थे,सारा दिन चीची लगी रहती हे, हम सोच रहे थे की हर साल की तरह से चिडिया इन्हे फ़िर से उडना सिखाये गी, ओर फ़िर यह पक्षी थोडे समय बाद उडना सीख जाते हे, ओर मां बाप के साथ रहते हे या नही पता नही फ़िर पतझड मे कही गरम देश मे चले जायेगे...
यह दोनो फ़ोटो हमारे घर के पाचवे सद्स्य हेरी की हे, बिलकुल बच्चो सा,बहुत ही छोटा सा था, जब इसे ले कर आये थे,शायद एक हाथ मे ही आ जाता था... ओर अब आप खुद ही देख लो,
एक दिन मुझे अदलत का एक पत्र मिला, मे उसे पा कर हेरान सा हुआ, खोलने पर पता चला की मेरे पडोसी ने जीव हत्या करने की कोशिश करने पर मेरे उपर मुकदमा ठोंक दिया हे, दुसरे दिन मे अदालत मे गया, वहा से कुछ पता नही चला तो एक वकील से सलाह लेने गया, तो उस बकील ने सारी बात सुनी, ओर राय दी की तुम्हे किसी भी वकील की जरुरत नही, बस एक पत्र लिख कर या टाईप करके ओर सारी कहानी उस मे लिख कर अदालत को भेज दो, कुछ ही दिनो मे फ़ेसला आ जाये गा,वकील को मेने धन्यावाद किया घर आ कर बेटे ने एक पत्र पुरी बात समेत अदालत के नाम लिख कर भेज दिया, साथ मे यह भी लिख दिया की आप का फ़ेसला मुझे मंजुर होगा जो फ़ेसला भी आप करे गे, लेकिन मेने बिल्ली को जान बुझ कर नही गिराया. मे तो दुसरे चार जीवो को बचाने की कोशिश कर रहा था,ओर बिल्ली को भी नुकसान नही पहुचाना चाहता था,
तीन सप्ताह बाद फ़ेसला मेरे हक मे आया, ओर इस दोराना चिडिया के बच्चे भी काफ़ी बडे हो गये थे, एक दिन देखा कि चिडिया के बच्चे बाहर आंगन मे उड रहे हे, ओर साथ साथ चिडिया ओर चिडा भी शायद उन्हे सीखा रहे थे,ओर हमे डर था कही हेरी उन्हे नुकसान ना पहुचाये, लेकिन हेरी भी उन्हे देख कर, ओर सुंघ कर वापिस आ जाता था, फ़िर कुछ दिन बाद यह सब पता नही कहां उड कर चले गये,अगली बार फ़िर से आये गे, लेकिन अब मेने वहां जाने वाले रास्ते पर थोडी कीले लगा दी हे.
लेकिन इन सब बाते से मेने देखा हमारी तरह से पक्षी भी तडपते हे अपने बच्चो के लिये,ओर वो भी भावन्ये रखते हे,
धन्यवाद ईश्वर का ! बड़ा ही सुखान्त रहा !
ReplyDeleteरात भर (सच में) में दो बार आपकी कहानी
के अंत की याद आई !
शायद पक्षियों के बच्चे बड़े होने पर माँ-बाप
के साथ नही रहते होंगे ! यह तो हम लोगों
की ही अच्छी या बुरी (जो भी हो) आदत है !
आपके हेरी को हमने चुरा लिया है ! है ही
चुराने लायक ! मग्गा बाबा के गुरु स्थान
पर बैठा रहे हैं ! आपको ऐतराज हो तो
बता देना ! वैसे आपके ऐतराज के बाद
भी हम वापस नही करेंगे ! हरयाणवी
ने कर लिया सो कर लिया !
आपको वापस चाहिए तो मुकदमा
कर देना ! ये आपकी अदालत नही है
की घर बैठे बिना खरचा किए आपके
पक्ष में फैसला आ जायेगा ! हमने
चोरी भारत में बैठ कर की है ! तो
मुकदमा भी भारत में ही चलेगा !
यहाँ क्या होगा ? आप जानते ही
होंगे !
इब ज्यादा ना बोलूंगा नही तो यहाँ
लोग मारेंगे मन्ने !
कहानी के सुखांत के लिए और हेरी
की चोरी करवाने के लिए बड़े भाई
को धन्यवाद !
chalo billi bach gayi..
ReplyDeletepaap se bach agye raj ji :)
bahut badhiya sir..
ReplyDeletebach kahun to bas maja aa gaya.. :)
अच्छा लगा इस का अंत पढ़कर ,आपका हैरी है ,हमारा रुस्तम है......हमारा काला है ......
ReplyDeleteसर , आपने कहानी का सुखान्त करके बहुत
ReplyDeleteअच्छा किया ! धन्यवाद !
आपका हेरी हमको बहुत पसंद आया और
इनको हम आपकी इजाजत से अपने गुरु
स्थान पर विराजमान करना चाहते थे !
और हम निहायत ही शरीफ आदमी हूँ !
पर जब मैं आपका लेख पढ़ कर कमेन्ट
बॉक्स में आपकी इजाजत लेने आया तो
वहाँ ताऊ का विचार और हेरी को चुराने
का कार्यक्रम पढा तो सोचा जब खुले आम
डकैती हो रही है तो ताऊ करे या हम ! सो
हमने ये डकैती कर ली है ! अब ताऊ भी
देखता रह गया ! और आप को जो करना
हो सो कर लेना !
और इस अपराध के लिए आप और ताऊ
ही जिम्मेदार हो !
क्योंकि आपने हमारे ब्लॉग पे आके हेरी
की तारीफ़ की उससे हमारा मन ललचाया !
वरना हमने तो एक गली के गुरु महाराज
की फोटो लगाकर अपनी दूकान दारी
चला रहे थे !
और ताऊ के विचार पढ़ कर हम को चोरी
करने का विचार आया ! और अगर आपने
मुकदमा किया तो ये ही हम कोर्ट में लिख
कर देने वाले हैं ! सो कोई भी कदम आप
सोच समझ कर उठाना !
i
achhi wyawastha hai warna yanhaa to mukadmebaazi me umra nikal jaati hai.badhai sab bhalaa to ant bhala
ReplyDeletehosla badhane ke liye shukriya sir...
ReplyDeleteapki rachnayein bhi bahut achi hain..
jari rahe
चलो जी, चिड़िया और बच्चे बच गये!
ReplyDeleteapki kahaani meri jubaani
ReplyDeletethode masaale ke sath padhen aur comment kare taki use hataa du ya rakh sakun
अबाबील के उस घोंसले के नजदीक खतरा बनी बिल्ली को हैरी ने भोंक कर जैसे ही ललकारा उस वक्त हम घर को ताला लगाकर बस कार में बैठने ही वाले थे। जमीन पर जहाँ मैं खडा था से १६ फुट की ऊंचाई पर बने इस घोंसले तक पहुँचने के लिए, जो मेरी खिड़की से महज ३ फुट दूर है, कोई साधन नहीं था। अचानक घटे इस घटनाक्रम में मेरी चिंता घोंसलों में पल रहे चूजों के जीवन रक्षण की हो गई। फिसलन भरी उस चढाई पर बिल्ली सावधानी से आगे बढ़ रही थी और महज कुछ ही सेकंड के फासले पर जीवन और मृत्यु को मैं महसूस कर गया था। अचानक ही मकडी जाला साफ़ करने वाली झाडू मेरे हाथ लग गई। मैं इसे खोलते हुए बिल्ली की और लपका। बिल्ली का ध्यान अब मेरी और था। बिल्ली अपने शिकार से महज २ सेकंड की दूरी पर थी। खतरा भांप कर उसने खिड़की की मुंडेर पर जम्प लगा दी पर वो नीचे जमीं पर आ गिरी । इसी बीच चिडा चिड़ी दाना लेकर आ गए और मुझे हमलावर समझ आक्रमण कर बैठे । हम बहुत हँसे नन्ही चिडिया की नादानी पर। हैरी को मैंने डांटा और हौले से चपत लगाकर कहा "देख ये नादान मुझे अपने बच्चों का दुश्मन मान बैठी है।"
ReplyDeleteजिन्हें मैंने बचाया था उस घोंसले से जिसके बनते वक्त हो रही गंदगी के कारण घर भर के हम सभी बनने ही नहीं देना चाहते थे।
ये दृश्य मेरे गोरे पड़ोसी ने देख मुकदमा दायर किया तो मैं असमंजस में था। खैर कोर्ट ने पूरी कहानी सुनकर और जानवरों की खैरियत जान मुझे बख्श दिया है।
पर घर बाहर निकलते वक्त मुझे ध्यान रहता है चूजों का और उनके माँ पिता के हमलों का .............
बच्चा किसी भी जीव का हो, होता तो मासूम ही है। ममता तो हर जीव में होती है।
ReplyDeleteराजेश जी,लगता हे आप कहानी कार हे,मेने तो सीधी साधी भाषा मे दिल की बात लिख दी.यही अन्तर हे आम आदमी ओर एक लेखक मे, धन्यवाद आप ने बहुत सुन्दर शव्द दिये हे, मेरी इस कहानी को
ReplyDeleteअच्छी लगी कथा-आपका मुकदमें बच जाना और हैरी मास्टर की तस्वीरें..निश्चित ही पशु-पक्षी भी हमारी तरह ही भावनायें रखते हैं.
ReplyDeletewaakai bhatia sahab ,kahani kafi rochak lagi,
ReplyDeletebadhaai ho
bahut accha likha hai
ReplyDeleteबहुत अच्छा हुआ जो सुखद अन्त हुआ। हैरी बहुत प्यारा है। क्या लैब्रेडौर है?
ReplyDeleteघुघूती बासूती
घुघूती बासूती जी हमारा हेरी,३, नस्लो के मिलाप से हे,Labrador Retriever, Rottweiler or Garman Shepherd से मिल कर बना हे,धन्यवाद आप को हेरी पस्न्द आया,
ReplyDeleteबंधुवर
ReplyDeleteप्रसाद बांटिये कि बिल्ली बच गई
भारत में बिल्ली मरती तो स्वर्णबिल्ली दान करनी पड़ती
वहां तो गोरा और उनका कानून है ही
खैर आपकी साफ़गोई काबिले तारीफ है
आपने हैरीदर्शन कराये
हम आपको सैमदर्शन कराएंगे
प्रतीक्षा करें
"बड़े मियाँ तो.. " बिल्ली तो बिल्ली, उसका मालिक तो और भी जालिम निकला. अरे पड़ोस का तो कुछ लिहाज़ करना चाहिए? खैर चिडियां सकुशल हैं और पड़ोसी बिल्ली और उसके मालिक की चालें भी नाकाम हुईं यह जानकर खुशी हुई.
ReplyDeleteअभी तक तो आप ही छाये हुए थे, अब देख रहा हूँ की हैरी जी ने शो स्टील कर लिया है - बधाई हैरी!
हमारे यहां लोग ऎसी बातो पर मुकदमा दायर कर देते हे, लेकिन झुट पकडा जाता हे,ओर फ़ेसला भी ज्यादा से ज्यादा ६ सप्ताह मे हो जाता हे,अगर आप ने किसी को गाली दे दी, किसी को थापड मार दिया,या आप की गलती से किसी का नुकसान हो गया ओर आप अन देखा कर के चल दिये, ऎसी बहुत सी बाते हे....
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद