घोंसला
आज जब मे ओफ़िस से घर आया ओर सीढीया चढने लगा तो पहली सीढी से ही पता चल गया की हर साल की तरह इस साल फ़िर से मेहमान आ गये हे, बिन बुलाये, लेकिन मुझे बहुत अच्छे लगते हे, अब तो सब को आदत सी पड गई हे,पहले पहल बच्चो को इन का शोर अच्छा नही लगता था, ओर बीबी को इन का गन्द डालना भी नही भाता था,दिन मे कई बार सफ़ाई करो, लेकिन यह वाज नही आते,ओर अब यह पुरे घर की आंखो का तारा हे, ओर तो ओर हमारे हेरी भी अब इन का पुरा ख्याल रखते हे(हेरी जो दुनिया का सब से वफ़ा दार हे), लेकिन इस बार कुछ ऎसा हुया कि..... इन मेहमानो की वजह से हम सब परेशान हो गये ओर बात अदालत तक पहुच गई,केसे तो पढिये आप भी यह कहानी .....
हमारा घर जहां मे रहता हु, दो मंजिला हे, हम ऊपर रहते हे, ओर छत काफ़ी नीचे तक हे,ताकि बाल्कोनी भी छत से ढक जाये,ओर छत को सहारा देने के लिये जोकि बालकोनी तक हे अलग से शहतीर छत के साथ साथ लगा हे,जिन सीढीयो से हम उपर घर मे आते हे इस के साथ ही एक कमरे मे हम सब ने पढने लिखने ओर कम्पुटर वगेरा रखे हे, बडे लडके का कम्पुटर खिडकी के पास हे,यही बाल्कोनी के शहतीर का एक कोना आ कर मिलता हे, जो छत से थोडा नीचे हे, आप इसे फ़ोटो मे देख सकते हे,ओर यह कहानी यही से शुरु होती हे..
हर साल सितम्बर अन्त से नबम्बर तक यहां से काफ़ी पक्षी चले जाते हे,ओर अप्रेल मई मे फ़िर से लोट कर आ जाते हे, अब हमे पता नही वही पक्षी हमारे यहां बार बार आते हे या अलग अलग जोडा, लेकिन एक ही नसल के पक्षी हर साल हमारे घर मे आ कर पुरी गर्मिया रहते हे, जब यह मई मे आते तो अपने पुराने घोंसला को वहां से हटाते हे, फ़िर आस पास सफ़ाई भी करते हे, ओर फ़िर चिडिया ओर चिडा दोनो यह काम करके नये घर की तेयारी मे लग जाते हे, अब खिडकी बिलकुल नजदीक हे, ओर यह फ़िर घोंसला बनाते समय बहुत शोर करते हे सारा दिन वीं चीं लगी रहती हे, पता नही हम इनसानो की तरह यह भी आपस मे कुछ एक दुसरे को कहते होगे, लडते होगे, लेकिन इस घोंसला बनाने मे करीब इन के १० १५ दिन लग जाते हे, ओर इस दोरान जो तिनके इन्हे नही चाहिये वो सब नीचे फ़ेकं देते हे, यानि गन्द डालते हे, पहले पहल तो बच्चो को बुरा लगता था क्यो कि आज कल यहां भी गर्मियो का मोसम हे सो खिडकीयां खुली रखते हे, ज्स के कारण इन की ची ची बहुत तंग करती थी,
चलिये अब घोंसला बन गया थोडे दिन शान्ति से कट गये, पहले पहल हम भी देखते थे, अब यह कहा चले गये, कही मर तो नही गये, अजी नही थोडे ही दिनो मे क्या देखते हे बीबी तो मजे से अपने घोंसला मे बेठी हे ओर मियां हर पल खाना ला ल कर उसे दे रहे हे, ओर बीबी मजे से बेठी ठुकर ठुकर हमे देखती शायद उस का डर खतम हो गया था, ओर हमे अपने घर का ही एक हिस्सा समझती थी, फ़िर थोडे दिनो मे सीढीयो पर टुटे हुये अण्डे दिखे, दिल बहुत उदास हुआ यह देख कर, लेकिन नही दुसरे दिन सुबह सुबह ही पुरे घर मे अब इन का शोर मच जाता छे छे ची ची की आवाजे इकाट्टी आनी शुरु हो गई, मां बाप दोनो जाये चोंच भर कर खाना लाये ओर चारो बच्चे अपनी चोंचे बाहर कर के खुब चिल्लाये, जेसे कह रहे हो हमे दो हमे दो..खुब शोर मच जाता हे दुर से ही आवाज आती हे,ओर यह बच्चे भी नही डरते थे हम से,कई बार महसुस किया की चिडिया ओर चिडा हमे देख कर ओर भी खुशी से चहकते थे,लेकिन सीढिय़ो का बुरा हाल, अब वहा बीट ही बीट, ओर तिनके ही तिनके, सब मिला कर अब हम सब को बहुत अच्छा लगता था,
एक दिन हेरी बहुत बहुत जोर जोर से भोकने लगा, सोचा इस समय कोन होगा, क्यो कि यह पोस्ट वाले को ही सब से ज्यादा भोकता हे,जब बच्चे बाहर गये तो वो भी जोर जोर से चिल्लने लगे फ़िर बीबी भी बाहर निकली तो वह भी हट हट बोल रही हे ओर चिल्ला रही हे,अजीब सा शोर मच गया, आस पडोस के भी लोग इन सब को देख कर आ गये, ओर सभी कुछ ना कुछ बोल रहे हे, अब मुझे भी आना पडा बाहर, ओर बाहर आते ही जो मेने देखा तो मेरे पांव तले से जमीन ही निकल गई, पता नही केसे हमारे पडोसी की बिल्ली बालकोनी से उस शहतीर पर चढ गई,जगह कम होने की वजह से, वो धीरे धीरे उस चिडिया के घोंसला की ओर बढ रही हे, उधर चिडिया ओर चिडा मदद के लिये ही शायद चीची करके शोर मचा रहे थे, इधर सभी बच्चे ओर हम साथ मे हेरी भी सभी का साथ दे रहा था, अगर खिडकी खोल कर भी जाऊ तो चिडिया के बच्चे बचाना मुश्किल था, इतना बडी लकडी भी नही, तभी मेरे दिमाग मे आया की छत से मकडे के जाले साफ़ करने वाले जाले से इस बिल्ली को यहां से हटाया जाये,ओर मे जल्दी से उसे ले कर आया अब बिल्ली ओर घोंसला मे मुस्किल से एक मीटर का फ़सला ही बचा था, ओर सब ने सोच लिया की अब तो सब के सब बच्चे बिल्ली के पॆट मे, ओर अब सब सांस रोके देखने लगे थे, सभी बिल्ली को कोस रहे थे, इतनी देर मे जाला ले कर आया ओर उसे लम्बा करने लगा, आज इसे भी लम्बा करने मे समय लग रहा था, अब बिल्ली बिल कुल घोंसला के पास तक पहुच चुकी थी, तभी मेने अपने जाले को बिल्ली ओर घोंसला के बीच मे कर दिया, ओर सोचा की बिल्ली को धीरे धीरे वापिस ले आऊगा, तभी एक बच्चे का धक्का मुझे लगा, ओर.....
शेष आगले भाग मे
sahi hai..
ReplyDeleteachchi post...
mere ghar men bhi ye aapna ghonsla banaate hai, lekin kuch samay bita kar chale jate hai,
are vah meahamaan to bhut badhiya hai. aage kya hua jald hi bataiyega.
ReplyDeleteहुजूर,
ReplyDeleteदिल थाम के पढ रहे थे और आपने ब्रेक लगा दिया :-)
अब तो अगली पोस्ट की प्रतीक्षा में न जाने कैसे कैसे ख्याल मन में आयेंगे लेकिन ईश्वर बडा कारसाज है, छोटे छोटे बच्चों को बचा लेगा ।
बहुत सुंदर आलेख सुंदर चित्र . मित्र दिवस की शुभकामनाओ के साथ
ReplyDeletebhut badhiya mehaman. aage ki kadi ka intajar rahega.
ReplyDeleteचिडि़यों के ऐसे घोसले प्राय: घरों में मिल जाते है इसका कारण यह है कि उन्हे घर में ही काफी कीट पंतगे खाने के लिये मिल जाते है।
ReplyDeleteअच्छा है जी. चिड़िया के घोसलों के कारण घर में होने वाले कीट पंतगे सफा हो जाते हैं. वैसे भी आप तो पुण्य कमा रहे हैं. :)
ReplyDeletebare gande hain aap...
ReplyDeletebich me hi chhor kar bhag gaye ki baad me aata hun.. :(
भाटिया जी प्रणाम करता हूँ आपको ! आपने
ReplyDeleteइतने सधे अंदाज में कहानी शुरू की और वहां ले जाकर
ख़त्म की जहाँ शायद एकता कपूर भी ना कर पाती !
अब हमारे सामने कोई चारा नही है की आपकी अगली
किस्त का इंतजार करे ! आपसे निवेदन है की इन बच्चों
को किसी तरह भी बचा लेना ! क्योंकि ये एकता कपूर
का सीरियल नही जो बच्चे वापस जीवीत हो उठेंगे !
हे ईश्वर इन चूजों की रक्षा करना !
सर , कहानी शानदार बन पडी है ! चूंकी हर घर की
ReplyDeleteआम घटना है ! कोई ध्यान भी नही देता ! पर आप
जैसे भावुक लोग इसको पकड़ लेते हैं ! ये हेरी मेरे
अनुमान से आपके श्री कुत्ता महाराज होने चाहिए !
अब इन्होने क्या किया इसका इंतजार रहेगा ! देखते
हैं चाणक्य बाबा कितने सही और कितने ग़लत है !
कहानी बड़ी गजब की लिखी ! आपके हेरी की
ReplyDeleteबड़ी तारीफ़ सुनी है ! पर आपने तो बात हेरी तक
पहुँचने के पहले ही मध्यांतर कर दिया ! पर मुझे
पुरी उम्मीद है की गुरु महाराज हेरी जरुर इस
कहानी का सुखान्त करेंगे ! मेरे मन में गुरु महाराज
के लिए बड़ी इज्ज़त है ! गुरुजी को प्रणाम ! अगर
हेरी बाबा की एक फोटो भी लगा देते तो हम अपने
ब्लॉग पर लगा लेते ! और सुबह सुबह उनके दर्शन
भी कर लिया करते !
गौरय्या का घोसला हमें भी ऐसे परेशान करता है। फिर हम उसके बच्चों की सलामती के लिये भी परेशान रहते हैं।
ReplyDeleteभाईसाहब, ये बताइये कि आपको पोस्ट लिखते लिखते किस ने, कैसा धक्का, कहां और क्यों मारा कि आपको इतना मार्मिक ब्रेक लेना पड़ा. बात घंटे दो घंटे में सुलट जाएगी या कल तक ?
ReplyDeleteवैसे कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पंछियों को दाना-पानी, घर-घोंसले की सुविधा देने से बुध व शुक्र शुभ फल देते हैं. हैरी महाराज का रंग कैसा है ये भी जरूर बताइयेगा.
बर्ड्स वाचिंग ???????
ReplyDeleteकिसको खुदा मिला किसे रहमत तेरी
दर्दे दिल को जो गवारा ना हुआ था वो बेगाना घोंसला भी । आज बचाने को क्यों इंसान तैयार हो गया ।
दर्द तो ना था उनकी पुकार का , पर गजब ढाया हेरी ने आवाज़ बनकर
rajesh
बर्ड्स वाचिंग ???????
ReplyDeleteकिसको खुदा मिला किसे रहमत तेरी
दर्दे दिल को जो गवारा ना हुआ था वो बेगाना घोंसला भी । आज बचाने को क्यों इंसान तैयार हो गया ।
दर्द तो ना था उनकी पुकार का , पर गजब ढाया हेरी ने आवाज़ बनकर
rajesh
सही तरीके से आपने जिज्ञासा को बनाए रखा अंत तक। शुरुआत में लगा कि आखिर माजरा क्या है।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट। वही पुराने दो शब्द नहीं लिख रहा हूं।
फ़िर आगे क्या हुआ महाराज? उम्मीद है कि मेरे सहकर्मी की तरह नहीं हुआ होगा. उसने अगले दिन भी उपवास रखा.
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद, अगले भाग के साथ आप हेरी को भी देख पायेगे.
ReplyDeleteकमाल का सस्पेंस है, जैसा बम डिफ्यूज करते समय घड़ी की टिक टिक में होता है।
ReplyDeleteमैंने पहली बार आपकी कहानी पढ़ी और पूरी पढ़ी ! अफ़सोस यह था कि एक दिन का कमर्शिअल ?? ब्रेक लगा दिया ! मान गए भाई !
ReplyDeleteअरे क्या गज़ब मोड पे आकर अफसाना अधूरा छोडा है आपने -
ReplyDeleteचलिये आगे की किस्त तक चिडीया की टोली की जान बचे ये प्रार्थना करते हैँ
- लावण्या
Dadhai
ReplyDeleteMain jaanta hoon chidiya jaroor bachegi.Bhagwan bada madadgar hai..........
ReplyDeletein chidiyon ka aana bada sukhad lagta hai,ek achha lagaw ho jaata hai,we bhi kuch mahsus karte honge.....bahut ghar sa laga ,
ReplyDeleteek adad aaya me maine karya ka makhaul nahin udaya hai,maine khud bhi bahut kuch kiya,jeevan se haar nahi manne ke kram me.....
par yahan maine un sthiyon ko ubhara jo karya se bhagne ki aawashyakta ban gaye hain,aur paise ka dikhawa hai