आज का विचार, हमे किसी भी हालत मे आस नही खोनी चाहिये, ओर आखरी दम तक कोशिश करनी चाहिये, ओर आशा रखनी चाहिये की मे जरुर कामजाव हो जाउगा..आज का चिंतन एक ऎसी ही कहानी के रुप मे हे, तो आये ओर देखे आज का चिंतन....
एक बार एक मन्त्री को राजा ने किसी बात के लिये उम्र केद की सजा देदी,लेकिन सजा थोडी अलग थी, मन्त्री को जेल मे ना बन्द करके एक बहुत ऊंची मिनार पर केद कर दिया, ओर नीचे सभी दरवाजे बन्द करवा दिये,मन्त्री बेचारा मिनार के उपर था, जहां ना खाने को कुछ, ना ही पीने को कुछ था,ओर वहां से नीचे कुदना भी सम्भव नही था,यानि तडप तडप कर मरना पक्का था, लेकिन मंत्री ने बचने के लिये अभी भी आशा रखी थी, जब मंत्री को मिनार की तरफ़ ला रहे थे, तो उस के साथी, रिश्ते दार ओर जानपहचान के लोग रो रहे थे, बीबी का तो बुरा हाल था, लेकिन मंत्री के चेहरे पर कही भी डर की झलक नही थी, मंत्री ने बीबी को समझाया तुम डरो मत, मुझे अभी भी आशा हे मे बच जाऊगा, बीबी रोते रोते बोली केसे इस ऊची मिनार पर केसे कोई चढ पायेगा? मंत्री ने कहा अगर एक पतला सा रेशम का धागा भी मुझे मिल जाये तो मे बच जाऊगा,
बीबी ने सोचा यह हमे होसला दिलाने के लिये कह रहा हे, फ़िर भी बीबी ने किसी से पुछा कि उस मिनार तक केसे रेशम का धागा पहुचाया जाये, ओर उसी रात को बीबी ने भृग नाम के कीडे के पेर मे धागा बांधा ओर उस की मुछो पर शहद की बुंद लगा कर मिनार की दिवार पर उपर की ओर मुहं करके छोड दिया,आधी रात तक वह कीडा शहद के लालच मे मिनार के उपर पहुच गया, फ़िर उस रेशम के धागे से सुत का धागा बाधं कर उपर लाया गया, फ़िर उस धागे से पतली रस्सी, फ़िर पतली रस्सी से मोटी रस्सी, फ़िर मोटी रस्सी से मोटा रस्सा उपर तक लाया गया ओर मंत्री उसे से उतर कर नीचे आ गया, हमे आस की किरन कभी नही छोडनी चाहिये,क्योकि सुरज की एक किरण ही काफ़ी हे जीवन के लिये
Thanks Raj, for your valuable comments on my blog. As an opportunity i saw your this creations. In real sense, I have no words to comments that you have written with just a good sense of literature and you used your words where they should be used.
ReplyDeleteReally i like it and desirous to get your all new creations.
...Ravi
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सही कहा आपने। वैसे विद्ववत जनों का कथन भी है कि आशा ही जीवन है। उपयोगी विचार और सार्थक कहानी से परिचित कराने का शुक्रिया।
ReplyDeleteसही उम्मीद है तो जिंदगी है
ReplyDeleteवाह राज जी क्या बात है, कहां से ढूंढ कर लेकर आए हैं, लेकिन इसमें वक्त कितना लगा। ये नहीं बताया?
ReplyDeleteप्रेरक !
ReplyDeleteसच कहा,आस है तो सब संभव है......
ReplyDeleteबहुत शिक्षादायक कहानी है !
ReplyDeleteधन्यवाद !
सही है जी, उम्मीद पर कायम है दुनियां - और हम भी!
ReplyDeleteprerek prasang hai..
ReplyDeleteबहुत अच्छी बात कही आपने....घोर निराशा के पलों में ये प्रेरक कहानियां मन में आशा का संचार करती हैं!
ReplyDeleteaasha hi to jeene ka aadhar hai,bahut achhe dhang se ise samjhaya
ReplyDeleteAapka diya prasang bagut hi prernadayi hai. Is ke liye aap babadhaii ke patra hain.
ReplyDeleteSandesh deti ek prerak kahanee .
ReplyDeleteshukriya Raj ji
बहुत प्रेरणास्पद कथा है, धन्यवाद!
ReplyDeletesahi kaha aapne umeed par to duniya tiki hai. bhut badhiya lekh hai. jari rhe.
ReplyDeletevakai bhut sahi baat. aas hai to jahan hai. bhut sundar badhai ho.
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