एक बार एक जाट और एक राजपूत में बहस चल पड़ी । राजपूत कहता कि हम बड़े और जाट कहता कि हम ।
राजपूत बोला - हम हैं 'ठाकुर'
जाट - तो क्या, हम हैं 'चौधरी'
राजपूत - हम हैं 'छत्री' (क्षत्रिय)
जाट - हम हैं 'तंबू'
राजपूत - 'तंबू' क्या होता है?
जाट - छतरी का फूफा !!
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शिवजी ने जब जाट बनाया तो उसे सब कुछ दिया - तेज़ दिमाग़, लंबा चौड़ा शरीर, लेकिन ज़ुबान ना दी, तो पार्वती बोली "प्रभु आपने कितना सुथरा आदमी बनाया है ये जाट. इसे भी ज़ुबान दे दो ताकि यह भी बोल सके"शिवजी ने कहा "ना पार्वती यह बिना ज़ुबान के ही ठीक है लेकिन पार्वती ना मानी शिवजी के पैर पकड़ लिए पार्वती की ज़िद के चलते शिवजी ने जाट को ज़ुबान दे दी.ज़ुबान मिलते ही जाट बोला "रे मोद्दे, यो सुथरी सी लुगाई कित से मारी"
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एक जाट-जाट
दो जाट-मौज
तीन जाट-कंपनी
चार जाट-फौज
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जाट तो जाट है जी मुस्कराहट चेहरे पर ला ही दी इस पोस्ट ने :)
ReplyDeleteहा हा बहुत सही.. जाट पुराण चल रहा है.. लगता है.. हमने भी हमारी पोस्ट में जाट के बारे में लिखा है.. हालाँकि अनुराग जी के जाट की बात है वो भी उनकी स्टाइल में
ReplyDeleteभईया, जाट तो जाट होवे है. मजेदार :)
ReplyDeleteअरे मैने तो जाट से लडाई ही नही की फीर ये कैसे हुवा?
ReplyDelete...
..
.
बहुत गंभीर मालला है सोच के बताता हूं
?
?
24 जाट = क्या ??
ha ha ha............. aur kya.
ReplyDeletevah ji vah. ha ha ha............ bhut sahi. vaise mei rajput hun.
ReplyDeleteभाई भाटिया जी आज तै म्हारा जी खुश
ReplyDeleteहोग्या ! भगवान नै भी आफत मोल लेली
जाट नै जबान दे के ! जाट अपनी तरफ़ से बात
ना ख़त्म करया करे ! बात का जबाव जरुर देगा !
एक बार एक जाट की शादी हुई ।
वो बस कंडक्टर था ! सुहाग रात नै
अपने कमरे में गया तो देखा कि उसकी
बहू खाट के बीच में बैठी सै ।
कंडक्टर उसनै बिचाळे में बैठी देख
कै बोल्या - थोड़ी सी परे नै हो ले,
हाड़ै एक सवारी और बैठैगी ! :)
और भोले भी घनै हौवें सें !
इनकी जबान और लट्ठ चुप ना
रह सके ! फ़िर सामै कोई भी हो !
राम पुरिया भाई यह चुटकले स्पेशल आप के लिये ढुढ कर लाया हू, लेकिन आप ने तो उस से भी अच्छा सुना दिया धन्यवाद, जाट दिल का साफ़ होता हे मे रोहतक मे काफ़ी साल रहा हु, वहां मेरे संगी साथी सारे जाट ही थे
ReplyDeleteअरे कुन्नु भाई २४ जाट = पाकिस्तान का सफ़ाया
ReplyDeleteभाटिया साहब म्हारा ख्याल थम नही राखोगे तै
ReplyDeleteकुण राखैगा ? इब थारी बात पै एक और सुण ल्यो !
एक जाट सवारी ढोवण खातिर नया-नया टैंपू ल्याया था । उसनै दिन-रात टैंपू ही टैंपू दीखण लाग-गे ।
एक रात वो सोता-सोता बोलण लाग-ग्या : आ ज्याओ भाई आ ज्याओ, टैंपू चाल्लै सै, तावळे आ-ज्याओ ।
फ़िर यही बात वो जोर-जोर तैं बोलण लाग-ग्या,
तै या बात सुण कै उसकी बहू बोली:
अजी के बात हो-गी जी ?
आज न्यूं क्यूकर बोलो सो?"
जाट नींद मैं बोल्या : कित जावैगी बेबे ?
ये सब बात जाट का बाबू भी सुणन लाग रहया था |
वो बोल्या : अरै मेरा सुसरा, के बोलै सै बहू नै ?
जाट नींद में ही बोल्या: "ताऊ, तू तै पाछे नै लटक ले" !!
इब ये मत पूछणा ये ताऊ ताई कुण सै ?
सभी बढिया हैं।सब से अच्छा लगा-
ReplyDeleteएक जाट-जाट
दो जाट-मौज
तीन जाट-कंपनी
चार जाट-फौज
वाह भई राज जी, मजा आगया। एक जाट और दूसरा सरदार इनपर चुटकुलों का आनंद ही अलग है। वैसे जब भी ब्लॉगवाणी पर आता हूं तो हर बार देखता हूं कि चुटकुले आज मिलेंगे की नहीं। बहुत बढ़िया और रामपुरिया जी ने भी कमाल कर दिया।
ReplyDeleteबूरा में घी डाल दिया।
खूब ....मस्त है
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteबहुत ही मज़ेदार.
हा हा हा
ReplyDeleteबहुत ही मज़ेदार.
हा हा हा
ReplyDeleteबहुत ही मज़ेदार.
we all really enjoys the Jaat !
ReplyDeletedin ki shuruwat ke liye ab aapko padhna bahut zaruri ho gaya hai lagta hai,mazaa aa gaya
ReplyDeletemuskara diya hun sar ji....
ReplyDeleteGautam kumar from dehradun uttarakhand
ReplyDeleteMai bhi jaat hun. aur mujhe es bat ka sabhiman hai.
Mast h bhai
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