आज का विचार हम जाने अन्जाने मे ही अपने बच्चो का बुरा कर बेठते हे, ओर जब आखं खुलती हे तो बहुत देर हो चुकी होती हे, आज का विचार कुछ ऎसा ही हे..जो मां बाप बच्चो के लिये मेहनत कर के, सही गलत काम कर के बचत करते हे, कि हमारा बेटा बडा हो कर किसी मुश्किल मे ना पडे, भुख से ना तडफ़े, धन के लिये ना भटके आदि आदि... ओर अपने प्यारे बेटे के लिये मकान, ज्यदाद,बेकं बेलेंस, प्लाट ले ले कर रखते हे, ताकि उस का आने वाला जीवन सुखी रहे... लेकिन होता इस से उलटा हे, क्योकि जिसे सब कुछ बना बनाया मिलेगा वो....
चिंतन...
एक आदमी एक दिन मुर्गियो के दबडे के पास बेठा कुछ अण्डो को देख रहा था,तभी उन अण्डॊ मे हरकत हुई, उस ने देखा एक अण्डा थोडा टुट गया हे तभी उस अण्डे मे से एक चोंच सी निकली, ओर जो भी चुजा अन्दर था बहुत कोशिश कर रहा था बाहर आने की लेकिन अण्डा टुट ही नही रहा था, तभी उस आदमी ने एक लकडी के टुकडे से बह अण्डा तोड दिया ओर चुजा झट से बाहर आ गया ओर चीं चीं कर के खुली हवा मे खेलने लगा, लगता था बहुत खुश हे, उस आदमी ने भी एक निशान उस पर लगा दिया स्याही से, ताकि कल उसे पहचान पाये तभी दुसरे अण्डो मे भी हरकत हुई,
अब इस भलेमानष ने उन अण्डो को बिलकुल भी नही छुया, ओर बाकी चुजो का तमाशा देखता रहा, काफ़ी मशकत के बाद सभी चुजे भी अपने अपने अण्डे तोड कर बाहर आ गये, ओर नयी दुनिया मे इधर उधर खुशी मे भागने लगे,अब उस आदमी को काफ़ी समय हो गया सो वह चला गया, शाम को फ़िर देखा सभी चुजे अब ओर भी मस्ती से खेल रहे थे,
तीसरे दिन वह आदमी फ़िर से उन चुजो को देखने गया, तो क्या देखता हे सभी चुजे खुब बडे ओ गये हे ओर खुब मस्ती मे भाग दोड मचा रहे हे, बस एक चुजा कुछ सुस्त सा एक कोने मे बेठा हे, ओर वह आदमी अपना निशान देख कर झट पहचान गया कि यह तो बही चुजा हे, जिस की उस ने मदद की थी, यानि जो बिना मेहनत के दुसरो के सहारे ही अण्डे से बाहिर आ गया था, ओर जॊ मेहनत करके आये सभी चुस्त थे, थोडी ही देर बाद बह चुजा मर गया, तो उस आदमी को अपने पर बहुत गुस्सा आया की उस ने क्यो उस की मदद कर के उसे इतना कमजोर बनाया,यानि जो मेहनत खुद करते हे वह ही हर हालात से लडना जानते हे, ओर जिन्हे मां बाप की कमाई बिरासत मे मिले जिन्होने मेहनत ही नही की वह बुरे समय मे किस हालात से लडे गे,
भाई साहब आज तो आपने बहुत ज्ञान की और
ReplyDeleteसुथरी बात बताई ! इसने कहें सै --
पूत कपूत तो क्यूँ धन संचय ?
पूत सपूत तो क्यूँ धन संचय ?
मतलब बेटा कपूत होगा तो बाप कमाई उजाड़ देगा !
और बेटा सपूत होगा तो यो ही धन के अम्बार लगा
देगा ! किसी भी हालत में बच्चों के लिए उस चूजे जैसा काम नुक्सान ही पहुंचायेगा ! भाटिया जी इसी तरह की समझाइश देते रहिये ! धन्यवाद !
कहानी के बहाने अच्छी सीख दी है।
ReplyDeleteप्रेरक कहानी है।बहुत बढिया चिंतन है।
ReplyDeleteदिशाएं
बहुत सुन्दर बोध कथा। धन्यवाद।
ReplyDeletebilkul sahi. lekin jab bachho ko hamari jarurat hoti hai to hum bhi unki madad kare bina kaha rha pate hai.
ReplyDeleteबहुत अच्छी कथा और सुन्दर उपदेश भी दे रही है। जीवन में वही आगे बढ़ते हैं जो मेहनत और संघर्ष करते हैं। परजीवी कभी उन्नति नहीं कर पाते । अच्छे विचार के लिए आभार।
ReplyDeleteaaj hansne par nahi sochne par mazboor kar diya
ReplyDeleteशुक्रिया आपके सारे ब्लोग्स में मुझे यही अधिक प्रिय है .आप बातो बातो में ढेरो बातें कह जाते है....
ReplyDeleteभाटिया साहब नमस्ते,
ReplyDeleteकटु सत्य लिखा है , लेकिन आज कल ज़माना बदल रहा है माता पिता को ये लगता है के बेटा अपनी ज़रूरत पूरी करे उन्हें लगता है के पैसा उनकी कमी पूरी कर रहा है , लेकिन अच्छे संस्कार उसे इस बुराइयों से दूर रख सकते है और लकडी के टुकड़े से अंडे को ना तोडे ..तो ....
मनेजमेंट मे अच्छी कहवत है किसी कौ उसके काम के लिये मदद करो पर उसका काम पुरा मत करो !!
ReplyDeleteअच्छी बोध कथा के लिये बधाई
भाटिया साहब, बहुत ही मजेदार ब्लाग है, बातों ही बातों में ज्ञान की कई बातें कह जाना कोई आप से सीखे. बेहतर प्रयास है.आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा प्रयास कर रहे है,भाटिया साहब. बातो ही बातों में गुढ बातें कहना कोई आप से सीखे. मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी के लिए शुक्रिया.
ReplyDeletebahut sundar kahanee. abhaar
ReplyDeleteसादगी और आसानी से वो बात कह दी है जिस के लिए काफी लंबे लेक्चर की ज़रूरत हो सकती है..यही अंदाज़ आपका आपको जुदा बनता है,बस ऐसे लिखते रहें...थैंक्स राज जी..
ReplyDeleteprabandhan ko sujhai yeh kahaani madhur hai
ReplyDeleteaasaaan baten dar asal utni asaan nahin hoti jitni ki samaz li jaati hai
sunder lekhani ke liye badhai,
rajesh
बहुत प्रेरक चिंतन ! चिंतन को नियमित लिखा कीजिये... बहुत अच्छी ज्ञान की बातें लिखते हैं आप !
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद
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