एक साहिब बाहर से घबराये हुये आये, ओर बोले अजी सुनती हो आज जब मे बाजार से निकला तो एक गधे ने....
पति की बात पुरी भी नही हुई कि उन की छोटी बेटी भागी भागी आई, ओर बोली मामी मामी भईया ने मेरी गुडिया छीन ली हे, मां ने बेटे कॊ समझाया.
मियां फ़िर बोले , जब मे बाजार से निकला तो एक गधे ने ?????
अभी बात पुरी भी नही हुई छोटा बेटा रोता रोता आया,मामी मामी मुझे भाई ने पीटा, मां ने भाई को डांटा.
जनाब फ़िर से बोलने लगे जब मे बाजार से ?????
तभी बडा बेटा आया, तो मां सब बच्चो से चीख कर बोली सब चुप हो जाओ, पहले मुझे गधे की बात सुनने दो :( :( :( :(......
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दो प्रकार के पुरुष स्त्रियों को नही समझते - विवाहित और कुंवारे ।
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जो सरकारी नहीं होता वही तो असरकारी होता है। एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा खाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा।
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प्रत्येक दिन को अपना अंतिम दिन मानकर चलो ..... एक दिन तुम सही साबित हो जाओगे ।
हा हा हा हा बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं आप। इससे बढ़िया खुराक कोई नहीं। सस्नेह
ReplyDeleteअच्छा जोक है। आशा है आगे भी आप इसी प्रकार अच्छे जोक सुनवाते रहेंगे।
ReplyDeleteरोज़ाना हास्य की पुडिया ले कर हाज़िर हो जाते हैं आप.बहुत बहुत शुक्रिया.
ReplyDelete१. गधे की बात .. गजब की है .. पुरे ५ स्टार !
ReplyDelete२. दो प्रकार के पुरूष.. तीसरे वाले को समझने की
जरुरत ही नही :) पुरे ५ स्टार
३. सरकारी/असरकारी = बीच में यथार्थवाद
पुरे ५ स्टार !
४. प्रत्येक दिन अन्तिम...आज के लिए इससे
सुंदर कोई विचार नही हो सकता !
पुरे ५ स्टार !
हमने दबाए हैं ५ स्टार !
jab tanaw had se badh jaaye to bus aapko yaad karna hi kaafi hai,mazaa aa jaata hai dhanyawad
ReplyDeleteha ha ha.............
ReplyDeleteहा हा!! बहुत सही..यथार्थवादी वाला अद्भुत है.
ReplyDelete-लगता है भारत यात्रा में कोई किताब खरीद लाये हैं रेल्वे स्टेशन से चुटकुलों वाली. :)
प्रत्येक दिन को अपना अंतिम दिन मानकर चलो ..... एक दिन तुम सही साबित हो जाओगे
ReplyDeleteअल्लाह जाने अब हम कब सही साबित होने वाले है!!हा हा हा सही है
आप सभी का धन्यवाद
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