पैसा सारी बुराइयों की जड़ है...... और इंसान को जड़ों की जरूरत हमेशा बनी रहती है।
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शादी विवेक पर कल्पना की विजय है।
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नौकरी दो चीजों के लिए की जाती है - तनख्वाह और छुट्टियां
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मृत्यु आनुवांशिक बीमारी है।
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मित्र से उधार लेने के पहले सोचिये कि आपको किसकी जरूरत ज्यादा है - मित्र की या धन की ?
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पुरुषों के लिए जो बात निश्चित नहीं होती, महिलाएं उस पर तटस्थ रहती हैं।
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महिलाओं के दिल में एक खास कोना होता है, जिसे वे कभी किसी के साथ नहीं बांटतीं।
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महिलाओं के लिए राय : पुरुष के साथ खुश रहने के लिए उसे प्यार चाहे कम करें, समझने की कोशिश ज्यादा करें।
पुरुषों के लिए राय : महिला के साथ खुश रहने के लिए उसे बेशुमार प्यार करें और समझने की कोशिश कतई न करें।
sahi salaah magar mera vivek abhi tak kalpana se hara nahi hai.mazaa aa gaya.ab to padhe bina sab gadbad lagne laga hai.dhanyawad
ReplyDeletebahut achhi baaten hai
ReplyDeleteshukriya Raj ji
nice quotations
ReplyDeleterajesh
महिलाओं के लिए राय : पुरुष के साथ खुश रहने के लिए उसे प्यार चाहे कम करें, समझने की कोशिश ज्यादा करें।
ReplyDeleteपुरुषों के लिए राय : महिला के साथ खुश रहने के लिए उसे बेशुमार प्यार करें और समझने की कोशिश कतई न करें।
सही बात कही है जी. अमल करना जरूरी है.:)
बहुत बढ़िया बातें बताई हैं। आभार
ReplyDeletesab jama karke rakh li hai sir....
ReplyDeleteभई वाह!
ReplyDeleteभई वाह राज भाई मज़ा गया ग्यानवर्धन भी हुआ
ReplyDeleteराज भाटिया जी मने आप का ब्लॉग पढ़ा बहुत ही बढ़िया बाते आप ने इस मैं लिखी हैं जिन्हें हमे अपनी जिंदगी मैं जरुर अपनाना चाहिए चाहे वो " जरुरी काम की बाते " हो या " चिंतन परिश्रम " दोनों ही लेख बहुत उम्दा हैं जो मन को भा जाते हैं । मैंने सिर्फ़ दो ही लेख पढ़े हैं इस लिए मैं इन्ही के बारे मैं आप को अपनी प्रतिक्रिया दे रहा हु । शुभम .........
ReplyDelete------------शुक्रिया -------------
Raj ji, kha to aap bilkul sahi rhe hai. aabhar achhi baaton ko batane ke liye.
ReplyDeletebahut sahi . achcha khasa anubhav is post ke sath apne ham sab ko baat diya hai . dhanyawaad.
ReplyDeleteसभी काम की बातें - एक से बढ़ कर एक।
ReplyDeleteभाटिया साहब !
ReplyDeleteआपके उपदेश मैं अपने दिल में "भाटिया जी की गीता" के नाम से स्टोर कर रहा हूँ ! इन उपदेशों की आज वाकई जरुरत है ! धन्यवाद !
सचमुच ये बातें बहुत काम की हैं। आभार।
ReplyDeleteबहुत सही बातें बताई।आभार।
ReplyDeleteक्या बात है, एक-एक शब्द सच्चा है. आजमाया हुआ है.
ReplyDeleteपैसा खाने मे नमक की तरह है ज्यादा है तब भी मुश्कील और कम है तब भी मुश्कील !!
ReplyDeleteमजेदार पंक्तीया सादर अभार
सही लिखा,
ReplyDeleteकाम की बातें उपयोगी लगी :)
धन्यवाद आप सब के पाधरने का
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