मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
18/07/08
खतर नाक विवाह मासुम बराती
मुझे यह खतरनाक कार्ड पता नही कहा से मिला, पहले तो मे कांप ही उठा,फ़िर धयान्से पढा ओर सॊचा आप को भी दिखा दु, तो लिजिये आप भी इस हसीन सुहावने कार्ड को देखे ओर...
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यह कार्ड तो सभी तक पहुँचना चाहिए।
ReplyDeleteजी, देखा था कुछ दिन पहले इस निमंत्रण को. तबीयत खराब थी तो फाड कर फेंक दिया था. :)
ReplyDeletejan hit me jaari karne ke liye shukriya
ReplyDeleteऐसे कार्डों को जन- जन तक पहुँचाना चाहिये. शुरूवात आपने की अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत अच्छा काम किया आपने | व्यंगात्मक रूप से सीख देने के लिए ! धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
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