चिंतन लिखे बहुत दिन हो गये, सोचा आज कुछ विचार भी कर ले, वेसे लो अलग अलग ब्लांग पर बहुत ही अच्छे अच्छे चिंतन पढने को मिल जाते हे, लेकिन कभी कभी अपने मन की बात भी कहने को दिल करता हे, यह चिंतन आज मेने रेडियो पर सुना, अच्छा लगा सोचा आप से भी बाटं ले.....
एक लडका चारपाई पर सोया हुया था, ओर उस की मां उस पर चादर देने आई की कही मेरे बेटे को मच्छर ना काट ले, ओर मां ने प्यार से अपने बेटे के मुख की ओर देखा तो पाया बेटा मन्द मन्द मुस्कुरा रहा हे नीद मे, ओर मां को प्यार आया ओर उस ने प्यार से बेटे के सिर पर हाथ फ़ेरा, हाथ का स्पर्श पा कर बेटा जाग गया, तो मां ने पुछ बेटा कोई अच्छा सपना देख रहे थे क्या, जो मन्द मन्द मुस्कुरा रहे थे, तो बेटा बोला हा मां मे देख रहा था की देश के सभी राजा, बडे बडे लोग, सेठ, ओर व्यापारी लोग मेरे को झुक झुक कर सलाम करते हे, नमस्ते करते हे, ओर मे बहुत ही सुन्दर जगह पर बेठा हू, ओर सुन्दर सुन्दर कपडे पहने हे,
मां हस के बोली चल नटखट एक गरीब ब्रहमान का लडका हे तु, इतने ऊच्चे ऊच्चे सपने मत देख,तो बच्चा बोल नहीं मां देखना एक दिन मे ऎसा ही बनुगां, ओर मां उसे चुप करा कर अपने काम मे लग गई, अब इस बच्चे कॊ ऎसी लगन लगी की, उस ने बहुत शिक्षा प्राप्त की, ओर एक दिन उसी सपने की तरह से उस के पास राजा, महा राजा सलाह मागंने आते, ओर यह बच्चा, अपने कर्मो से इस मजिंल तक पहुचां , जानते हे यह बच्चा बडा हो कर कोन बना... एक महान राज नितिग्या....
राज नीतिकार
एक विदुवान जिस ने कोई राज तो नही किया लेकिन जिसे चाहे अपनी नीति से अपने दिमाग से राजा बनबा दे जिसे चाहे राजा से भिखारी बनबा दे... जी यह विदुअवान ओर कोई नही चाण्क्या जी ही थे जिन की नीतिया आज भी जिन्दा हे, ओर लोग आज भी इन्हे एक उदाहरण के रुप मे लेते हे.
इसी लिये कहते हे हमे कर्म भोगी नही कर्मजोगी बनना चहिये ओर कर्मजोगी हमेशा मान ही पाते हे युग कोई भी हो
बहुत ही प्रेरणास्पद ..
ReplyDeleteबिल्कुल सही,अपने कर्मों से दुनिया का रुख मोड़ देने वाला ही महान कहलाता है,और फिर हालत उसके बस में होते हैं....
ReplyDeletehamesha ki tarah ek seekh deta hua..
ReplyDeletebeech beech me dete rahiye..achha lagta hai.
ReplyDeleteप्रेरक !
ReplyDeleteओह! चाणक्य? वह दृढ़प्रतिज्ञ था। अपने सपने को सच बना देने वाला।
ReplyDeleteये तो प्रेरणा से भरपूर है।
ReplyDeleteऔर ये भी सही है कि अपने कर्म से ही इंसान जाना जाता है ।
सही है जी, एक बड़ा काम एक स्वप्न से ही प्रारम्भ होता है!
ReplyDeleteवाह, क्या उदाहरण पेश किया है...
ReplyDeleteबढिया और प्रेरणास्पद चिँतन -
ReplyDelete- लावण्या
बहुत उम्दा प्रेरक प्रसंग. आभार.
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आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.
एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.
शुभकामनाऐं.
-समीर लाल
(उड़न तश्तरी)
बढिया प्रेरणास्पद
ReplyDelete"हमे कर्म भोगी नही कर्मजोगी बनना चहिये " बात को अपने अपनी पोस्ट मी सुन्दरता के साथ उकेरा है पढ़कर गीता की याद आ गई . बहुत बढ़िया आभार
ReplyDeletebahut hi badhiya.
ReplyDeleteबचपन में कहीं पढ़ी थी यह कहानी। आपने एक बार फिर याद करा दी। वाकई में कर्म ही व्यक्ति के जीवन की दिशा तय करते हैं।
ReplyDeleteआप सभी का दिल की गहराई से स्वागत,धन्यवाद,मेहरबानी
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