14/04/08

चिंतन हार की जीत

आज बहुत ही सारे काम निपटाये इस लिये बहुत थक गया, लेकिन आज रामनवी पर यह चिंतन भी उचित लगा सो लिखने बेठ गया, कोई गलती होजये तो माफ़ी चाहता हू.
आज का विचार,हम मे से कितने लोग हे जो हार कर खुश होते होगे, लेकिन कई बार हार कर भी खुशी मिलती हे,मे अक्सर अपने बच्चो से जानबुझ कर हार जाता हू, तो लिजिये रामनवी के शुभ दिन पर भगवान राम से जुडा एक विचार..
जब राम भगवान छोटे थे, तभी से बहुत ही पराक्रमी ओर निडर थे,बडे बडे योद्धा राम का नाम सुन कर डर जाते थे,लेकिन जब राम अपने भाईयो से खेलते, या तलवार बाजी करते तो जान कर हार जाते थे,माताये रोजाना देखती,ओर राम जीती हुई वाजी भी हार जाते, एक दिन कोशल्या माता ने राम से पुछा मे काफ़ी दिनॊ से लगा तार देख रही हु कि तुम जीती हुई वाजी भी अपने भाईयो से हार जाते हो, कया कारण हे,तो राम ने कहा मां मेरे भाई मेरे से छोटे हे इन की जीत भी तो मेरी जीत हुई, फ़िर मुझे हरा कर मेरे भाईयो को जो खुशी मिलती हे, उस से ज्यादा मुझे उन को खुश देख कर खुशी मिलती हे वह बहुत कीमती हे,
आप सब को राम नवी की शुभकामनायें

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