हमारा देश एक धर्म निर्पेक्ष देश हे,ओर हर देशवासी को आधिकार हे अपने धर्म को अपने ढंग से मानने की,लेकिन जब मेरी आजादी दुसरे को हानि पहुचाये तो....
मुझे शिकायत हे हर उस व्याक्ति से जॊ अपने धर्म स्थान पर लाउडस्पिकर लगा कर ओर ऊची आवाज मे बुजुर्गॊ को, स्कुली बच्चो को तगं करता हे, कया हमारे सब के धर्मो के ईश्बर बहरे हे जिन के लिये सुबह सुबह ऊची आवाज मे उसे बुलाना पडता हे,या उसे शोर पसंद हे, नही ना, तो फ़िर हम यह दिखावा करते हे कया ?किस के लिये, इन सब करने से हमे पाप लगता हे पुन्य का काम नही, क्यो की जिस ने भी अपने ईष्ट कॊ याद करना हे , वो तो मन ही मन याद करे गा, फ़िर क्यो हम बच्चो की पाढाई खराब कर के उन की बददुया लेते हे , क्यो बुजुर्गो की, बिमार आदमी की आत्मा से बददुये लेते .हे
जी शिकायत जायज़ है.... लेकिन कई बार लोग ख़ुशी के नशे में न चाहते हुए भी दूसरों को कष्ट दे देते हैं.... लेकिन इसमें बदले की भावना नहीं होनी चाहिए ...
ReplyDeleteबिलकुल जायज शिकायत है। इन पर प्रतिबन्ध के आदेश निकलते हैं, लेकिन कभी कार्यवाही नहीं होती।
ReplyDeleteआपकी शिकायत तो एकदम सही है, मुझे बड़ा ही कटु अनुभव रहा है इस बात का ... हमारे IIT के होस्टल के पास ही IIT का परिसर ख़त्म होता था और गाँव शुरू, रात को और खासकर गर्मियों में जो परेशानी हमें होती थी ... अब क्या बतायें! कई बार IIT प्रशासन ने भी ये सब रोकने कि कोशिश कि पर कुछ ख़ास सफलता हाथ नहीं लगी.
ReplyDeleteआपने देखा होगा कि जो ख़ुद बहरे होते हैं वो दूसरो को भी बहरा समझते हैं इसलिए मेरा ख्याल है कि इश्वर तो शायद बहरा नहीं हैं हाँ ऐसी हरकत करने वाले जरुर बहरे हैं शायद अंधे भी. आपकी शिकायत जायज है मेरी भी दर्ज कीजिये
ReplyDeleteसेम पिंच-मुझे भी सेम टू सेम शिकायत है. :)
ReplyDeleteएक बात:
मुझे शिकायत है-के नाम से नया ब्लॉग शुरु करें. जिसमें लोग अपनी शिकायतें भेंजे और आप उसे छापें. ---सुझाव है यह-शिकायत नहीं.
@Udan Tastri, I used to read such kinda article in Hindi magzine 'Sarita'. Later I stopped paying for that magzine cause I had 'Shikayats' with their various articles.
ReplyDeleteNice suggestion, I vote for you. :)
धर्म भी कुछ लोगो के लिए कमाई का जरिया है...आज सुबह आते आते देखा की रोड ब्लाक करके जगराते के लिए टेंट गाडा जा रहा है .....बड़ी कोफ्त हुई......
ReplyDeleteकड़वा सच.... सच्ची शिकायत
ReplyDeleteRaj ji, your agony is justfied. Most of the times people tend to forget that their celebration or method of prayer can create disturbance for others.
ReplyDeleteVikas
बिल्कुल सही शिकायत है।
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteसमीर जी आप की बात उचित लगी,अभी बच्चो को बोल कर नया ब्लोग बनाते हे. धन्यवाद राय देनेके लिये.
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