30/10/10

वफ़ादार

अमर नाथ जेसे ही अपने घर से निकले तो डब्बु फ़िर से उन के पांव चाटने लगा, ओर प्यार से  अपनी पुंछ हिलाने लग गया, ओर अमर नाथ जी ने झट से एक जोर दार लात जमा दी, ओर गालिया बकते हुये अपनी कार मै बेठ कर ड्राईवर से बोले चलो, दो महीने पहले यही कुता उन्हे जान से प्यारा था, पांच साल से इसे बच्चो की तरह पाला था, बहुत प्यारा ओर सायाना था, लेकिन उस दिन उन के पोते से खेलते खेलते इस जानवर से पोते के चेहरे पर डब्बु का पंजा लग गया, बस उसे देख कर अमर नाथ जी आग बाबुला हो गये, ओर उसी समय इस प्यारे डब्बू को मार मार कर घर से निकाल दिया.

डब्बू ने बाहर की दुनिया कभी देखी ही नही थी, जब एक महीने का था तभी से वो इस घर मे ही रहा, ओर जब अमर नाथ  जी ने उसे घर से बाहर फ़ेंका तो उसे कुछ समझ नही आया, लेकिन वो घर के बाहर ही बेठा रहता, जब भी कोई घर का सदस्या बाहर आता तो दिवानो की तरह खुश होता, कभी कभी प्यार भी मिलता , लेकिन दुतकार ज्यादा, बाहर के आवारा कुतो ने भी हमला किया, डब्बू को इन दो महीनो मे ही पता चल गय कि घर के बिना रहना कितना कठिन हे.

लेकिन डब्बू ने अपना घर नही छोडा घर वालो ने चाहे उसे छोड दिया, आज अमर नाथ जी सुबह सड भुन कर गये थे इस डब्बू की वजह से, ओर उन्होने आज निश्चय किया था कि आज हमेशा के लिये इस से पीछा छुडा लेगे, आज जब वो घर आने वाले थे तो ड्राईवर को खुद ही छुट्टी दे दी की जाओ, फ़िर खुद ही कार ड्राईव कर के खुद ही वो कल्ब गये, वहां दोस्तो के संग बेठे ओर रात १० बजे घर की तरफ़ चल पढे, कोठी पर पहुच कर कार को बाहर ही पार्क किया, आज डब्बू भी सुबह से डरा था, इस लिये वो भी नजदीक नही आया, जब अमर नाथ जी कार से बाहर निकले ओर कार को लांक करने लगे तो तभी दो अजनवी लोग उन के नजदीक आये ओर चाकू दिखा कर धमकाया ओर बोले की चलो  हमारे साथ वर्ना जान से हाथ धॊ बेठो गे, ओर शोर नही मचाना.

अमरनाथ जी अभी दो कदम ही चले होंगे कि तभी डब्बू ने पीछे से उन बदमाशो पर हमला कर दिया, सब से पहले चाकू वाले को पकडा ओर इस अचानक हमले से उस का चाकू कही गिर गया, ओर उस के साथी ने अपनी पिस्तोल निकलनी चलानी चाही लेकिन उस से पहले ही डब्बू ने उसे भी दबोच लिया, चाकू वाला कार की तरफ़ भागा तो डब्बू ने उसे भी घेर लिया, अब दोनो बदमाश इस हमले से अपने अपने हथियार वही छोड कर सर पर पांव रख कर भागे, ओर  डब्बू उन्हे दुर तक छॊड कर आया,फ़िर डब्बू अमर नाथ जी के पास आ कर उन के पांव चाटने लगा.

अमर नाथ जी ने डब्बू को प्यार से अपने पास बुलाया ओर उसे गले लगा कर जोर जोर से रोने लगे वही जमीन पर पडे पडे, इतना शोर सुन कर घर वाले भी बाहर आये तो देख की अमर नाथ जी सडक पर गिरे हे ओर डब्बू से प्यार कर रहे हे, ओर डब्बू भी चूं चूं कर के  जेसे शिकायत कर रहा हो, तो अमर नाथ जी ने सब को डब्बू के बारे बतलाया कि किस प्रकार इन  वेजुबान ने अपनी जान पर खेल कर उन्हे बचाया .

31 comments:

  1. हर प्राणी प्यार का भूखा है, बेजुबान भी। ये अपने प्रिय पर कोई कष्ट देखकर जान की बाजी लगा देते हैं।
    लेकिन आज इन्सानों में यह सवेदना गुम गई है।
    बहुत बढिया कहानी
    प्रणाम

    ReplyDelete
  2. कुछ समय पहले हमारे पास एक डॉबरमैन नस्ल की "फिजी" (कुतिया का नाम) थी। उसके सामने मेरे पिताजी को कोई अजनबी मजाक में भी छू नहीं सकता था।

    प्रणाम स्वीकार करें

    ReplyDelete
  3. देर आयद
    दुरुस्त आयद!
    --
    नाम का कुत्ता
    लेकिन आदमी से ज्यादा वफादार!

    ReplyDelete
  4. वफादार हमेशा वफादार ही रहता है

    ReplyDelete
  5. कुत्ता तो वफादारी का दूसरा नाम होता ही है। बस इंसान ही है जो जरा-जरा सी बात पर दुश्‍मन बन बैठता है।

    ReplyDelete
  6. अरे भाटिया साहब तुस्सी ग्रेट हो -इत्ती अच्छी साफ़ सुथरी कहानी वल्लाह बलि जाऊं !
    कहानी किसे कहते हैं इस कहानी के उदाहरण से से बताया जा सकता है ......
    संवेदना ,द्वैधभाव ,और क्लाईमैक्स सब कुछ तो है .थीम है ,कथानक है ..वाह वाह !

    ReplyDelete
  7. insaan se jyaada jaanvar wafadar hote hain, prerana dene vaali katha.accha laga padhkar.

    ReplyDelete
  8. कुत्ता आदमी से ज्यादा वफादार होता है यह उदाहरण बहुत जगह दिखाई दिया है | बस जरूरत है इसे प्यार और दुलार देने की |

    ReplyDelete
  9. बेजुबान ..वफादार .......बहुत अच्छी कहानी ...

    ReplyDelete
  10. बहुत सटीक कहानी कही आपने. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  11. कमाल की कहानी है. परन्तु ऐसा ही होता भी है.

    ReplyDelete
  12. अच्छी और प्रेरक कहानी...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  13. बहुत अच्छी कथा। जानवर आदमी से ज़्यादा वफ़ादार होता है।

    ReplyDelete
  14. आदमी में वफादारी अब नहीं मिलती..

    ReplyDelete
  15. बहुत खूब राज साहब, प्यार से कैसी किसी का दिल फिर से जीता जाता है आपने बेहतरीन अंदाज़ मैं बताया. इंसान भी कितना खुदगर्ज़ होता है, लेकिन प्यार की ताक़त इंसान की खुदगर्जी को भी मात दे सकती है.
    धन्यवाद्

    ReplyDelete
  16. राज जी,
    बेहद शानदार कथानक।

    मानव में क्या स्वार्थ से ही सम्वेदनाएं उत्पन्न होती है? दुखद

    ReplyDelete
  17. एक बेजुबान की वफ़ादारी की संवेदनशील कहानी..... बहुत अच्छी लगी.... वैसे हकीकत में भी तो यही होता है....

    ReplyDelete
  18. सच इंसान से ज्यादा जानवर समझदार होते हैं………………बेहद सुन्दर कहानी।

    ReplyDelete
  19. यह वफादारी किसी भी कष्ट देने वाली घटना से कहीं बढ़कर है।

    ReplyDelete
  20. सच है जब तक आदमी के सिर पर चोट नही लगती उसे समझ नही आता। बेजुबान जानवर बिना किसी शर्त के प्यार करते हैं।

    ReplyDelete
  21. वफादार प्राणी...बहुत बढ़िया रहा.

    ReplyDelete
  22. बफादार ,बेजुबां बहुत अच्छी कहानी.

    ReplyDelete
  23. beshak.........

    moh karna manushya ko kutte se hi seekhna chahiye....

    ReplyDelete
  24. बहुत सुन्दर और सही बात कहा है आपने! जानवर हमेशा वफादार होता है!

    ReplyDelete
  25. आपकी पहली कहानी पढ़ी, बहुत बढ़िया लगी

    ReplyDelete
  26. यदि सुखी रहना है तो मनुष्य को जानवरों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है..

    प्रेरक कथा के लिए आभार..

    ReplyDelete
  27. sundar-prerak ghatanaa. isaka katha-ras bhi aakarshit kartaa hai. aapane man se likhi hai yah saty-katha...

    ReplyDelete
  28. बेजुबान को क्या पता ... वो तो अपनी तरफ से खेल रहा था ... परे इंसान ये नहीं समझते ... बस अपने ऊपर आने पर समझते हैं ... चलो अंत में ही सही समझ तो आई .. अच्छी कहानी है बहुत भाटिया जी ....

    ReplyDelete
  29. सुंदर रचना, सुंदर प्रस्तुति...धन्यवाद! ...दिपावली की शुभ-कामनाएं!

    ReplyDelete

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये