आप सभी को इस बात से सुचित करना चाहता हुं कि आज कल मेरे दिल मै एक अजीब सा ख्याल आता है कि क्यो ना मै यहां भी एक ब्लांग मिटिंग करुं, या सीधे शब्दो मै कह ले एक ब्लांगर मिलन.... लेकिन ब्लांगर लाऊ कहा से( हिन्दी के) क्योकि जर्मन भाषा के ब्लांगर तो बहुत मिल जायेगे, तो सोचा एक पोस्ट लिखू ओर आप सब के विचार पुछूं? केसा रहेगा....
खाने पीने का इंतजाम मेरे यहां ही रहे गा, ओर ठहरने का भी मेरे यहां हो जायेगा, जब कि जगह कम है, लेकिन हम भारतिया सेट हो जाते है, तो जो लोग मेरे आसपास के देशो मै रहते है वो जरुर मुझे बताये कि क्या अगले महीने हम एक ब्लांगर मिलन रखे? भारत के रहने वाले भी जरुर अपनी अपनी राय दे....
राज भाई,
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आईडिया है .............पर अफ़सोस हम आ नहीं पायेगे ! वैसे मेरी हार्दिक शुभकामनाएं है आपके साथ !
आपके इस कदम का स्वागत करता हूँ!
ReplyDelete--
जय ब्लॉगिंग!
राज भैया ,
ReplyDeleteयह सद्विचार उन दिनों दिमाग में क्यों नहीं आया जब मैं आपके पास ही था ! अगर अपने देश से कुछ लोगों को बुलाने के चक्कर में हो तो लोग तो आसानी से मिल जायेंगे मगर समय कम से कम २ माह देना ताकि वीसा आदि का प्रवंध कर सकें ! ग्रेट !!
पता नहीं भाभी जी कैसे झेलती हैं आपको !
सादर शुभकामनायें !
अजीब नहीं जी बहुत बढिया ख्याल है ये तो।
ReplyDeleteजो समर्थ हैं उन्हें तो जरूर पहुंचना चाहिये।
बढिया यह होगा कि जिन्हें आप जानते हैं, उनसे व्यक्तिगत जरूर मेल करके कन्फर्म कर लें कि कौन-कौन आ सकता है। कई बार ब्लागर्स पोस्ट पढ नहीं पाते और उन्हें पता ही नहीं चलता है।
प्रणाम
अवश्य रखिये...अच्छा विचार है.
ReplyDeleteहम...तो...जर...मनी...आने...में...असमर्थ...हैं।
ReplyDeleteआप पोस्ट लिखे और हम टिप्पणी करे इससे बढ़िया और क्या मिलन होगा | आपका विचार बहुत बढ़िया है लेकिन वंहा तक पहूचना सभी ब्लोगरो के लिए बस की बात नहीं है | फिर भी जितने ब्लोगर इकठे होकर यह समारोह करेंगे उनके लिए मेरी शुभकामनाये |
ReplyDeleteकार्यक्रम सफल हो यही कामना है. हम अभी इस स्थिति में नहीं हैं की वहां अपनी उपस्थिति दे सकें.
ReplyDeleteवाह वाह राज जी क्या धांसू आईडिया है ....आज ही मेट्रो गुडगांव तक पहुंच गई है ....एक बार ...बस एक बार ..जर्मनी पहुंच जाए फ़िर देखिए ...कैसे बोरे में भर भर के ब्लोगगर्स आ जाएंगे ..। प्लेन पुलेन में तो नहीं आया जाएगा । अरे अपने इंडियन एयर लाईंस का कोई भरोसा नहीं है जी ..कमबख्त मरे ....रनवे को ..छोड कर सब जगह प्लेन उतार लेते हैं ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं राज जी ब्लोग बैठक के लिए
प्रस्ताव काफी लाजवाब है. मन प्रसन्न हो गया. सोचा कल उठकर श्रीमतीजी पर रोब झाड़ेंगे कि भाटियाजी मुझे जर्मनी बुला रहे हैं तुम्हे मालूम है..? मगर जब नीरज भाई का कमेन्ट ...जर...मनी पढ़ा तो जमी हिल गयी और कुछ मनी जेब से गिर कर मुँह चिढाने लगे..!
ReplyDelete...हाँ, एक काम तो अब करना पड़ेगा कि पासपोर्ट बनाना पड़ेगा हो न हो कभी हो ही आने का अवसर मिले.
...उत्साह जगाने और मन प्रसन्न करने के लिए शुक्रिया.
सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद है..
ReplyDeleteपोस्ट भी आबाद है, ब्लागर भी दिलशाद है
बहुत ही अच्छा विचार है राज जी! हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं!
ReplyDeleteबहुत बढिया सोच है आपकी!... पिछ्ले साल तो मै आपके यहां आई थी... आप की मेहमान नवाजी मै भला कैसे भूल सकती हूं?... आपके हाथ के बने हुए समोसे कितने लजईज थे... फिर हम लोगों का घुमना-फिरना और समंदरी जहाज की सैर...हरेराम हरे कृष्ण मंदिर का अपनत्व भरा महौल... आप के परिवार के साथ बिताए हुए लम्हे मुझे हरदम याद रहेंगे!... लेकिन इस बार मै नहीं आ पाउंगी...इस बार आपके साथ अन्य साथी ब्लॉगर्स अवश्य जुडेंगे... मुझे पक्की उम्मीद है!.... मेरी शुभ-कामनाएं!
ReplyDeleteबहुत अच्छा!
ReplyDeleteलेकिन भतीजे को चचा से मिलने में अभी थोडा वक़्त लगेगा.
ख्याल तो दुरूस्त है भाटिया जी...बताईये कब बुला रहे हैं..हम तो सच्ची मुच्ची आ धमकेंगें :)
ReplyDeleteइस सुन्दर पोस्ट की चर्चा "चर्चा मंच" पर भी है!
ReplyDelete--
http://charchamanch.blogspot.com/2010/06/193.html
हम तो बहुत दूर हैं...पर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं की आपकी आकांक्षा वे पूरी करें...
ReplyDeleteशुभकामनाएं...
भाटिया जी आइडिया अच्छा है ... आप तारीख तय करें .. टिकट का जुगाड़ करता हूँ मैं तो ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और शानदार विचार है जो प्रशंग्सनीय है! शुभकामनायें!
ReplyDeleteवाह गज़ब का आईडिया है ..कोशिश करते हैं .
ReplyDeleteआप रखिये तो सही फिर देखते हैं मगर 4-5 माह पहले तय करें तो कुछ सस्ती टिकेट भी मिल जायेगी नही तो बहुत मंहगी पडती है। शुभकामनायें
ReplyDeleteaapki post kal ke charcha manch par hogi.
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com
abhar
ब्लोगर सम्मलेन होने में कोई बुराई नहीं है. व्यक्तिगत परिचय का एक जरिया है. लेकिन उत्कृष्ट ब्लॉग लेखन और एक दूसरे तक अपने विचार पंहुचाने के लिए न तो व्यक्तिगत परिचय जरूरी है न सम्मलेन.
ReplyDeleteएक काम करो..भारतीय कम्यूनिटी के लिए एक कवि सम्मेलन रख लो आप. साईड में ब्लॉगर मीट तो हो ही जायेगी. अमेरीका, कनाडा और यूके से मिलाकर कवि हो जायेंगे.
ReplyDeleteहम तो इस ब्लोगर मीट के लिए शुभकामनाएं ही दे सकते हैं....ढेर सारी शुभकामनाएं.
ReplyDeleteशिखा,समीर जी,दिगंबर नासवा जी ने तो हामी भर ही दी है...फिर देर किस बात की..:)
जल्द ही आपकी इच्छा पूरी हो...और हमें रिपोर्ट मिले,सुन्दर तस्वीरों के साथ.
आइडिया तो अच्छा पर एक दिन, TV पर एक चुटकुला आ रहा था कि एक भारतीय किसी विकसित देश का एक साल का वीज़ा मांगने उस देश की अंबेसी गया.
ReplyDeleteअंबेसी वाले बोले -"नहीं नहीं तुम्हारा केस ठीक नहीं है, तुम्हें तो ज़्यादा से ज़्यादा बस 3 दिन का ही वीज़ा दिया जा सकता है"
वह अपने पीछे लाइन में लगे आदमी को आंख दबा कर धीरे से मुस्कुराते हुए बोला -"3 दिन क्या, 3 मिनट का वीज़ा दोगे तो भी चलेगा...वापिस किसने आना है"
भगवान न करे आपकी मीटिंग में ऐसे ब्लागर भी आएं जिनके लिए आपको जवाब देना पड़े :)
काश कि मैंने अपनी जेर्मनी ट्रिप कैंसल ना की होती
ReplyDeleteशानदार विचार ...
ReplyDeleteजरा बच के उड़ान तश्तरी आपकी मीटिंग को साइड में लगाने के फिराक में :)
ReplyDeleteशुभकामनाएँ