14/10/09
कही हमे जहर देने कि कोशिश तो नही यह??
आज भटकते भटकते यहां गया, ओर इस खबर को एक बार नही कई बार पढा, ओर मुझे तो यही समझ मै आया कि अब जानवरो के बाद यह परिक्षण हम पर होगा, ओर करने वाले भी..... पुरी खबर आप यहा पढे ओर बताये क्या यह उचित है
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आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।
ReplyDeleteधनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर
आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
विवाद तो कुछ ही जगहों पर होता है .. हम तो पहले से ही जहर खा रहे हैं !!
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट लिखी है।
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट सब्ज्जियो में दालो में और मिलावटी चीजे खा रहे है उनमे भी तो जहर है . दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामना .
ReplyDeleteचिन्तनीय विषय है.
ReplyDeleteअब क्या kahaa जाए ऐसे muddo पर jisake मन में जो aa रहा है wahee कर रहा है
ReplyDeleteHappy Diwali -- Good warning Raj bhai sahab
ReplyDeleteजो लोग रोज़ सिंथेटिक दूध , मावा, घी, मिल्क पाउडर, ओक्सिटोसिन हारमोन जैसे ज़हारों के बारे में रोज़ टीवी में अख़बारों में रोज़ भयावह समाचार पढ़कर भी विरोध करने सडकों पर नहीं उतर रहे हैं, और न ही अपने बच्चों को दूध मिठाई देने से बाज़ आ रहे हैं, मज़े से सेहत के नाम पर खा पी रहे हैं .... उनसे आप कैसे उम्मीद करते हैं की वे जेनेटिक इंजीनियर्ड फसलों का विरोध करेंगे?
ReplyDeleteबकौल मुन्नाभाई, "ये डरा हुआ समाज क्या बदलाव लाएगा?"
बाहर वालों की नज़र में हम भारतीय कीड़े-मकोड़ों से बढकर कुछ नहीं हैँ
ReplyDeleteचिन्तनीय विषय है |
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
sahi kaha.........
ReplyDeleteकुछ दीये खरीदने हैं,
कामनाओं की वर्तिका जलानी है .....
स्नेहिल पदचिन्ह बनाने हैं
लक्ष्मी और गणेश का आह्वान करना है
उलूक ध्वनि से कण-कण को मुखरित करना है
दुआओं की आतिशबाजी ,
मीठे वचन की मिठास से
अतिथियों का स्वागत करना है
और कहना है
जीवन में उजाले - ही-उजाले हों
दीपावली पर आपको और परिवार को शुभकामनायें !
ReplyDeleteयह हमारी नियति है कि हम परिक्षण के लिये उपस्थित है । लेकिन इसका विरोध तो होना ही चाहिये ।
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट। दीपावली पर आपको शुभकामनायें .............
ReplyDeleteअब विकास की इतनी भी कीमत क्या नहीं चुकाई जायेगी ?
ReplyDeleteराज जी,
ReplyDeleteअंधेर नगरी, चौपट राजा...आज के समाज में उदारीकरण ने मुनाफे की जो पट्टी आंखों पर बांधी है...वहां ऐसी विकृतियां सौगात में मिलनी स्वाभाविक है...
दीवाली आपके और घर वालों के लिए मंगलमयी हो...
जय हिंद...
शुरुआत हो गयी है अब आगे चावल , आलू, भिंडी वगैरह का नम्बर आने वाला है।
ReplyDeleteहमें "विषपायी" बनाने की तैयारी है।
happy birthday to you
ReplyDeletebecause you BORN after reading some facts
thanks for encouragements
जभी तो मै बोलू कि ये वैगन आजकल स्वादिष्ट क्यों नहीं हो रहे, खैर, आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये, भाटिया साहब !
ReplyDeleteहमारा आयुर्वेद तो वैसे ही बैंगन का परहेज करने को कहता है फिर अब ये बीटी बैंगन की क्या आवश्यकता पड़ गई? और उगाना है तो भारत में ही क्यों? चिन्ता सही है आपकी।
ReplyDeleteआपको तथा आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!
Sahi Baat.........par ise samjhe kaun..?
ReplyDeleteपहले तो ये बीटी बैंगन आएंगे...फिर उसके बाद पीछे पीछे नई बीमारियाँ आएंगी....फिर जाकर उनके इलाज के लिए विदेशों से दवाईयाँ आएगी...बस ऎसा ही होता रहेगा ।
ReplyDeleteआपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऎँ !!!!!!!
बहुत बढ़िया और सठिक लिखा है आपने! आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteराज भाई साहब
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छी जानकारी उपलब्ध करवाई धन्यवाद |
एक नन्हा दिया अपने आप को जलाकर अमावस कि रात को प्रकाशवान करता है |
आपको और पूरे परिवार को
दीपावली मंगलमय हो |
शुभकामनाये बधाई