चिंतन आज का विचार
हम अपनी कोठी, बगंले पर अपनी कार पर ,पेसे पर कितना अभिमान करते हे, लेकिन यह सब क्या झुठे हे?
तो पढिये आज का विचार
एक साधु बाबा थे, उनका नाम था कणाद,जब किसान अपनी फ़सल काट लेते तो वो उस जमीन से बाकी बचे कण चुन लेते ओर उसी से अपना गुजर बसर करते, अब साधु बाबा पहुचे हुये थे,उन का नाम भी बहुत था, लेकिन अकड या घंमण्ड बिलकुअल नही था, एक बार राजा को यह बात पता चली तो राजा ने बहुत सा धन साधु बाबा को भेजा, बाबा ने कहा मेरे पास बहुत हे इन्हे जरुरत मन्दो को बाटं दो,राजा ने फ़िर से दो गुना ज्यादा धन भेजा तो बाबा ने कहा मेरे पास बहुत धन हे इसे जरुरत मन्दॊ मे बांट दो, तीसरी बार राजा आप आये ओर साधु को देखा तन पर कपडे भी फ़टे हे लेकिन बाबा ने इस बार भी कहा नही जरुरत ,आप इसे जरुरत मंदो मे बांट दो,
अब राजा ने प्रणाम किया साधु बाबा को ओर वपिस महल मे आ गया ओर रानी से बात की, दुसरे दिन राजा साधु बाबा के पास गया ओर बोला आप सच मे राजा हे मे तो नकली राजा हू, लेकिन आप आत्मा से राजा है.
ऎसे विचारो से हम यह नही कहते की आप अपना सब कुछ बेच कर ओर सब कुछ दान करके इन साधु बाबा जेसे बन जाओ, लेकिन हमे लालच मे आ कर गलत ढंग से पेसा अर्जित नही करना चाहिये , सिर्फ़ अपने लिये ही नही सोचना चाहिये, कुछ अन्य लोगो के बारे भी हमे ध्यान करना चाहिये, हमारे ग्रांथो मे लिखा हे कि गलत ढंग से कमाया पेसा कभी भी तीन पीढीयो से आगे नही जाता, ओर जिस घर मे गलत ढग से पेसा आता हे, वह अपने साथ बहुत सी बुराईयां भी साथ लाता हे, ओर जाते समय तबाही भी लाता हे , जेसे बाढ का पानी जब आता हे तो पानी ही पानी होता हे ओर दुख साथ मे लाता हे ओर जब जाता हे तो ....
Sahi kaha aapne. paisa achhe dhang se bhi kamaya ja sakta hai. jo galat dhang se dhan kamate hain ve sukhi nahin rahte. unki santane nikkami ho jati hain aur yah kahna chahiye ki teen peedhi bigad jati hain. aajkal vaise sadhu baba bhi kahan hain. aajkal to sadhu inkar karne ki bajay vyakti ki tijori par hath saaf kar dete hain. jamana badal gaya hai bhatiaji. ek achhi bodh katha ke liye dhanywad.
ReplyDeleteग्रांथो मे लिखा हे कि गलत ढंग से कमाया पेसा कभी भी तीन पीढीयो से आगे नही जाता, ओर जिस घर मे गलत ढग से पेसा आता हे, वह अपने साथ बहुत सी बुराईयां भी साथ लाता हे, ओर जाते समय तबाही भी लाता हे , जेसे बाढ का पानी जब आता हे तो पानी ही पानी होता हे ओर दुख साथ मे लाता हे ओर जब जाता हे तो ....
ReplyDelete"very pure real and true thoughts, to be understood and implement in our real life'
regards
सही कहा "हमें केवल अपने लिये ही नहीं सोचना चाहीये".. काश हम सभी एसा सोचें..
ReplyDeleteबहुत सच्ची बात कही है कि काश लोग आत्मा के धनी हो जाए ।
ReplyDeleteबहुत प्रेरणादायक कणाद ऋषी की कहानी सुनाई आपने ! धन्यवाद !
ReplyDeleteकणाद ब्राह्मणत्व के आदर्श हैं। अपरिग्रह का संदेश उनसे बेहतर किसी पौराणिक पात्र में नहीं मिलता।
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुतियां हमेशा ही प्रेरणादायक होती हैं। सच बात है कि जैसा खाए अन्न, वैसा हो मन। गलत तरीके से अर्जित पैसा पीढि़यों को दूषित करता है।
ReplyDeleteसर जी बहुत सुन्दर लिखा आपने ।पढ़कर अच्छा लगा।बहुत प्रेरणा दायक रहा आपका यह लेखन । कणाद ऋषी पर
ReplyDeleteअत्यन्त सुंदर कहानी ! इसके लिए धन्यवाद !
ReplyDeleteकणाद ऋषि की अति प्रेरणास्पद आलेख के लिए तिवारी साहब का सलाम इन ब्रह्मरिशी को और आपको धन्यवाद !
ReplyDeleteआत्मा जगाने वाले इस प्रेरणा भरे प्रसंग से रु-ब-रु कराने के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे विचार और साथ ही गलत ढ़ंग से पैसे कमाने वालों को सोचना चाहिए। और सच में राजा तो वो ही होता है।
ReplyDeleteबहुत अच्छे राज भाई ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteआभार इन सदविचारों के लिये.
ReplyDeleteसौ फीसदी सहमत हूँ राज जी आपसे
ReplyDeleteएक ऐसा सच जो सबके सामने है पर सब उस तरफ से आंखें मुंदे रहते हैं।
ReplyDeleteकुछ अपवादों को छोड़ दें, तो सिर्फ सौ साल में सारी मानव जाति बदल जाती है। पर फिर भी लगे रहते हैं, मेरा-मेरा करने में।
बहुत सुंदर अभिव्यक्तिपूर्ण आलेख जिससे प्रेरणा मिलाती है . आभार
ReplyDeletein vichaaron ka main tahe dil se samman karti hun
ReplyDeletebahut hi prernadayak hai
एक दम सही लीखे हैं। और आपके हर लेख प्रभावीत करते रहते हैं मूझे।
ReplyDelete"मेने आज सुबह भी एक टिपण्णी दी थी वो कहा गई????"
सुबह की टीप्पडी नही मीली। सायद blogspot मे कोई दिक्कत होगा।
और ई-मेल मे भी नही दीया है।
्क्या बात कही है भाटिया जी,बहुत सही।
ReplyDeleteपैसा खाने मे नमक की तरह है भाटिया जी ज्यादा हो तब भी मुश्कील कम हो तब भी मुश्कील!!
ReplyDeleteकणाद ऋषि की यह प्रेरणादायक कथा सुनाने के लिए आभार। आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं। गलत तरीके से अर्जित धन कभी भी स्थायी सुख शांति नहीं दे सकता।
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