29/06/08

भारत यात्रा २

भाग २

बस मे बेठे बेठे मेरी साथ वाली सीट पर दो तीन यात्री बदले, सभी से दो चार शब्दो मे बात हुई, लेकिन मुझे घर पहुचने की जल्दी थी, लेकिन सभी यात्री आपस मे बहुत प्यार से मिल जुल कर बाते कर रहे थे, मेने कंडकटर से पुछा भाई आप लोग मुझे बस मे क्यो नही बिठा रहे थे, तो पहले तो वह थोडा चुप रहा फ़िर बोला साहिब आप की बडी अटेची के कारण, ओर मुझे भी सबक मिल गया अगली बार सीधा टेक्सी या कार से, अरे हा एक बात मेने नोट की एयर पोर्ट से बस अड्डे तक ओर बस अड्डॆ से रोह्तक तक मे खिडकी से बाहिर ही देखता रहा,रास्ते मे इतने खुब सुरत, भव्य, ओर बडे बडे मन्दिर दिखे, ओर एक नही हर किलोमिटर पर मन्दिर ही मन्दिर, ओर बहुत ही बडी बडी मुर्तिया भी,सोचा भगवान हे तो बस यही हे यही हे मेरे देश के लोग कितने श्रादलु हे,हर कदम पर आज के बाबओ के बडे बडे आश्राम,देखने मे ही इतने खुब्सुरत तो अन्दर से केसे हो गे,
ओर मे १०,३० तक रोहतक पहुच गया, अभी तक किसी से कोई खास बात नही हुई,बस से उतरा सभी कंडकटर जो मेरे पास बेठा था उसे धन्यावाद बोला, ओर नीचे उतरा, बस चली गई, आज पहली बार सभी काम मुझे करने पड रहे थे,घर तो पास ही था, लेकिन मेरी आदते शायद खराब हो गई थी, सो सोचा यहा से रिकक्षा करता हु, ओर एक रिकक्षा वाले को इशारा किया,जब वह नजदीक आया तो मे उसे देखता ही रह गया, ओर मुझे बहुत ही शर्म भी आई वह ६५, ७० साल के करीब एक बुजुर्ग थे, तो वह बोले बाबुजी कहां चलना हे, मेने झट से कहा बाबा आप मुझे बेटा कह सकते हे, आप के साथ चलने मे मुझे अच्छा नही लगता, लेकिन आप के साथ मेरी तरह से सभी करेगे तो आप जिस मजबुरी के कारण यह काम कर रहे हे तो आप को कोई दुसरा काम करना पडेगा, चलिये ओर मे बेठ गया,उस बाबा जी से मेने दो चार बाते की तो पता चला की उस के बच्चे बहुत अच्छी पोस्ट पर हे, लेकिन अपनी बीबीयो के डर से मां बाप को घर से निकाल दिया, लेकिन निकालने से पहले उन की ज्यादाद अपने नाम कर ली, ओर मे घर पहुचने से पहले ही रो पडा,
घर पहुच कर मेने बाबा को पानी ओर नास्ते के बारे पुछा तो बोले बेटा नही,बस तुम से बात करके मन हलका हो गया, भगवान करे तुम जेसा बेटा भगवान सब को दे,तो मेने कहा नही बाबा मेरे जेसा बेटा भगवान किसी को ना दे जो अन्तिम समय मे भी अपने पिता को मिल ना पाया, चिता ना दे पाया, उन की अन्तिम इच्छा ना पुछ पाया, ओर मेने उन को २० रुपये दिये ओर दोनो हाथो से नमस्कार किया.........
फ़िर मे अपने घर मे आ गया, समाने मेरी मां बिमार पडी थी, बिलकुल मरी सी मुरझाई सी,अधंरग के कारण जिस से हिलना डुलना भी मुस्किल था, साथ मे मेरे काफ़ी रिश्ते दार ओर आस पडोस के लोग बेठे थे, मेरे घर मे घुसते ही मां मे ना जाने कहा से फ़ुरती आ गई ओर वह झट से बेठ गई, ओर मेरे गले लग कर बहुत रोई,बहुत देर तक मां रोती रही, फ़िर मेने मां के पावं छुये ओर कहा की मां अब फ़िकर मत करो, सब कुछ मे सम्भाल लुगां, फ़िर सभी लोगो से बारी बारी मिला,कईयो को पहचान पाया कईयो को नही, फ़िर भाई से सभी जान कारी प्राप्त की, बहुत से काम थे,लेकिन मे इन सब से अन्जान भी था, फ़िर जितने भी जान पहचान वाले थे, ओर रिश्ते दार बेठे थे सभी अपनी अपनी राय दे रहे थे,कोई सारी रस्मे गुरु बाणी के अनुसार,तो कोई राधा स्बामी के अनुसार तो कोई कुछ ,कोई कुछ मे सब की बाते सुनता रहा,जब कुछ समझ नही आया तो माफ़ी मांग कर स्नान करने चला गया, जब वपिस आया तो फ़िर से सभी अपनी अपनी राय देने लगे, तो मेने सब से हाथ जोड कर कहा आप सब की राय सिर माथे पर मेरे पिता जी सभी धर्मो को सम्मान देते थे, ओर वो एक सच्चे हिन्दु थे, उन्होने कोई वसीयत या अपनी इच्छा भी जाहिर नही की, इस के बाद जो आदेश मेरी मां का होगा वही आखरी होगा, लेकिन आप लोग मुझे मेरी भावना को समझ कर आईंदा भी अपनी नेक सलाह देते रहे. ओर फ़िर सब ने मेरी हां मे हां मिलाई, ओर फ़िर हम दोनो भाई ओर मां ने सब की सलाह को सोच कर कुछ फ़ेसले किये. ओर फ़िर मेने सभी से कई ओर बातो के बारे जान कारी ली, क्यो कि मे तो एक तरह से जीरो था, ओर गलत सलाह देने वाले बहुत थे, फ़िर अपने आप को खुद तेयार किया आने वाले कल के लिये, साथ मे मां को होसला भी दिया, ऎसे ही पुरा दिन बीत गया...
कल फ़िर से ...
अगर मेरी किसी बात से आप किसी को कोई शिकायत हो या लगे की मे अपने देश के बारे कोई गलत लिख रहा हु तो मुझे जरुर लिखे, क्योकि मे भी तन मन ओर दिल दिमाग से एक भारतिया हु, ओर जो कुछ मेने भारत मे देखा उसे लिखने मे मेरे हिसाब से कोई गलत नही,लेकिन यही कोशिश हे की अच्छी बाते ही ज्यादा लिखु, जो मेरे लिये आज के भारत मे एक अजुबे से कम नही, कभी कभी लगता था कया ऎसे लोग इस युग मे भी हे इस आज के भारत मे ???

8 comments:

  1. हमारा ही देश है राज जी ...यहाँ तो हर रोज सुबह से शाम तक सरकार को ,देश को ,राज्य को.सब लोग गाली देते है आप नाहक परेशां होते है....कमिया हमें ओर आपको ही सुधारनी है....ओर अगली नस्ल को....भारत की जनसख्या इतनी बढ़ी है की शायद अनुशासन आते आते कई वर्ष गुजर जायेंगे ....आपकी माता जी का जानकर दुःख हुआ...

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  2. सही गलत सब बता ही देंगे। आप तो निस्संकोच लिखे जाइये। अच्छा लिख रहे हैं।

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  3. aaj kafi arse baad apko likhata dekh mujhe bahut achcha laga . mata ji ke bare me janakar dukh hua .kripya Dr.Anuraag ji or dineshray dwadiji ki salah par bhi dhanyaan dene ka kasht kare. aap apni bhavana ki abhivyakti blaag ke madhyam se karate rahe .dhanyawaad.

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  4. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद,अभी तो मेने ऎसा कुछ भी नही लिखा नही जिस से आप लोगो को बुरा लगे, चलिये आप की बात मान कर मे इस विषय कॊ यही बन्द करता हु,आईन्दा इस विषय पर नही लिखुगा,आप सब की खुशी ही मेरी खुशी हे.

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  5. आप तो अपने तजुर्बे के हिसाब से लिखते जायें. शुभकामनाऐं.

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  6. राज भाई साहब,
    ये समय आपके परिवार के लिये कष्टप्रद रहा होगा ये हम सब समझ रहे हैँ ..
    आप लिखते रहीये और आपकी माताजी को मेरे नमस्ते कहियेगा --

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  7. हमेशा की तरह बहुत सुंदर और प्रभावशाली...

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  8. आप सब का दिल से धन्यवाद

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये