जयपुर में कल ही ऐसा हुआ है। एक साढे पांच महीने की प्री मेच्योर डिलेवरी के बाद बच्चे को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जब उसे दफनाने लगे तो परिजनों को सांसे चलती हुई दिखी। वापस अस्पताल लाए और उसे आईसीयू में एडमिट कराया गया। धन्य हो डॉक्टर साहब
अब समझ आया कि मृत शरीर को दफनाने या दाह संस्कार के पहले उस के कपड़े क्यों उतारे जाते हैं। इसीलिए कि आखिरी बार यह तय हो जाए कि जीवन के कुछ लक्षण शेष तो नहीं हैं, कहीं वे तो जीवन को तो नष्ट नहीं कर रहे। जल्दबाजी में सभी जगह के डॉक्टर यह गफलत करते हैं। अधिकतर वे जो नामी गिरामी हैं और आँख बन्द कर पैसा कूटने में लगे हैं।
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खबर पढ़ कर एक अजीब सा डर लगा !
ReplyDeleteजयपुर में कल ही ऐसा हुआ है।
ReplyDeleteएक साढे पांच महीने की प्री मेच्योर डिलेवरी के बाद बच्चे को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जब उसे दफनाने लगे तो परिजनों को सांसे चलती हुई दिखी।
वापस अस्पताल लाए और उसे आईसीयू में एडमिट कराया गया।
धन्य हो डॉक्टर साहब
अब समझ आया कि मृत शरीर को दफनाने या दाह संस्कार के पहले उस के कपड़े क्यों उतारे जाते हैं। इसीलिए कि आखिरी बार यह तय हो जाए कि जीवन के कुछ लक्षण शेष तो नहीं हैं, कहीं वे तो जीवन को तो नष्ट नहीं कर रहे।
ReplyDeleteजल्दबाजी में सभी जगह के डॉक्टर यह गफलत करते हैं। अधिकतर वे जो नामी गिरामी हैं और आँख बन्द कर पैसा कूटने में लगे हैं।