आज का विचार, हमे आज के समय मे अक्सर यह विचार घेरते हे की निष्पाप जीवन बहुत मुस्किल ओर कठिन हे,आज सच, बोलना, संत स्वभाब मे रहना बहुत मुस्किल हे,हमारा आज का चिंतन यानि आज के विचारो का मंथन...
एक सज्जन ने एकनाथ से पूछा, “महाराज, आपका जीवन कितना सीधा-साधा और निष्पाप है! हमारा जीवन ऐसा क्यों नहीं ? आप कभी किसी पर गुस्सा नहीं होते। किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं, टंटा-बखेड़ा नहीं। कितने शांत, कितने प्रेमपूर्ण, कितने पवित्र हैं आप!”
एकनाथ ने कहा, “अभी मेरी बात छोड़ो। तुम्हारे संबंध में मुझे एक बात मालूम हुई है। आज से सात दिन के भीतर तुम्हारी मौत आ जायेगी।” एकनाथ की कही बात को झूठ कौन मानता! सात दिन में मृत्यु! सिर्फ १६८ घंटे बाकी रहे! हे भगवान! यह क्या अनर्थ ? वह मनुष्य जल्दी-जल्दी घर दौड़ गया। कुछ सूझ नहीं पड़ता था। आखिरी समय की, सब कुछ समेट लेने की, बातें कर रहा था। वह बीमार हो गया।
बिस्तर पर पड़ गया। छ: दिन बीत गये। सातवें दिन एक नाथ उससे मिलने आये। उसने नम्स्कार किया। एकनाथ ने पूछा, “क्या हाल है? ”
उसने कहा, “बस अब चला!”
नाथजी ने पूछा, “इन छ: दिनों में कितना पाप किया? पाप के कितने विचार मन में आये?”
वह मरणासन्न व्यक्ति बोला, “नाथजी, पाप का विचार करने की तो फुरसत ही नहीं मिली। मौत एक-सी आंखों के सामने खड़ी थी।”
नाथजी ने कहा, “हमारा जीवन इतना निष्पाप क्यों है, इसका उत्तर अब मिल गया न?”
मरण रुपी शेर सदैव सामने खड़ा रहे, तो फिर पाप सूझेगा किसे?
हमे हमेशा उस मोत को याद रखना चहिये जो एक दिन आनी जरुर हे, ओर हमे सिर्फ़ अपने कर्मो को ही साथ ले जाना हे,
आभार!!
ReplyDeleteएक और सानदार कहानी।
मरने का टाईम पता चल जाए तो हालत खस्ती हो जाएगी, और आखें बाहर टहलने लगेंगे|
एक खबर
कंप्युटर मे कही भी हिन्दी मे देख सक्तें है पढ और लीख सक्तें हैं चाहे कोई सा भी ब्राउजर हो या हिन्दी मे ईंटरनेट का टूलबार ही क्यो ना हो।
आप बहुत अच्छा लीखतें है अगली कहानी का ईंतजार है बहुत मजा आया।
ReplyDeleteसही है। सतत नश्वरता का भान कई गलत कर्मों से व्यक्ति को विरत करता है। पर कहीं यह न हो कि वह कर्म से ही विरत कर दे!
ReplyDeleteमृत्यु तो सदैव सामने खड़ी है, यह तथ्य आज के जमाने में अधिक बड़ा सच है। पर आदमी इस से ही दूर भागता है। उसे पाप जो करने हैं।
ReplyDelete'एक दिन तो सबको जाना है'.. ऐसा तो सभी कहते हैं, पर कहने के अलावा और कुछ सोचता ही कौन है...
ReplyDeleteएप्पल के स्टीव जोब्स ने अपने एक व्याख्यान में कहा था '... रोज़ सुबह अपने आप से पूछो की आज तुम्हारी जिंदगी का आखिरी दिन है, तो तुम्हे आज क्या करना चाहिए... '
और युद्धिस्थिर ने भी यक्ष से कहा था '... संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य यही है कि लोग रोज़ दूसरो को मरते हुए देखते हैं पर ये कभी नहीं सोचते कि उन्हें भी एक दिन मरना है...'
आज आपने भी कुछ ऐसी ही सीख दी... धन्यवाद ..!
neesandeh atti sunder !
ReplyDeletebahut sundar sikh ke saath sundar kahani.
ReplyDeleteआप सब का आभार टिपण्णी देने का ओर मेरी हिम्मत बढाने का.
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