28/03/08

चिंतन सच की ताकत

आज का चिंतन, हम सब रोजाना कितना सच ओर कितना झुठ बोलते हे, सच बोलने पर डरते हे, कोई भी काम हो झुठ बोल कर करवालेते हे फ़िर भगवान का धन्यवाद करते हे,ओर छोटी छोटी बातो पर भी झुट बोलते हे, फ़िर आदत बन जाती हे, कोई सच बोले तो उसे उलाहना देते हे अबे ज्यादा राजा हरिशचन्द्र बना फ़िरता हे,लेकिन अपने को सुधारने की कोशिश नही करते, एक दिन सच बोल कर देखो,संसारिक लाभ चाहे ना हो, लेकिन उस दिन आप एक अलग खुशी पाये गे, नुक्सान भी नही हौगा अगर आप सच मे सच हे तो, तो लिजिये आज के विचार सच पर मन्थन करते हे...
एक शहर मे एक चोर रोजाना चोरी करता था,कई बार पकड गया मार खा कर, सजा भुगत कर फ़िर बहिर आये फ़िर चोरी, बस यही क्र्म चलता रहा, एक दिन चोर ने सोचा यह भि कोई जिन्दगी हे,रोजाना रात भर जागो, चोरी करो, हाथ मे लोगो के आते ही पिटाई, जुते गालिया, फ़िर जेल, कयो ना एक बार लम्बा हाथ मार लु, फ़िर शहर बदल आराम से रहुगां,ओर चोर ने राजा के महल मे चोरी की स्कीम बनाई, लेकिन महल मे घुसे तो केसे घुसे, ओर पकडे जाने पर कोई सजा नही सीधा सिर कटे गा,ओर चोर सोचने लगा किस प्रकार महल मे घुसु, तभी एक साधू बाबा वहा से गुजरे तो चोर ने बाबा को बुलाया प्रणाम किया, फ़िर भोजन करवाया,फ़िर चोर बोला बाबा मुझे आशीर्वद दो मे अपने काम मे कामजाव होजाऊ,बाबा ने पुछा कया काम करते हॊ तुम, चोर ने कहा बाबा मे एक चोर हू,
बाबा ने कहा मे तुम्हे आशिर्वद जरुर दुगां, लेकिन तुम्हे भी एक वचन मुझे देना होगा,चोर ने कहा हां बाबा जी मे भी एक वचन एक दिन के लिये आप को देता हू,तो बाबा ने कहा जिस दिन भी मेरा आशिरवाद लो उस के बाद जो भी पहला काम करो उस पुरे दिन तुम सच बोलना,चोर ने हा कर दी,दुसरे दिन महल मे राजा ने प्रजा के लिये महल के दर्वाजे खोले थे,ओर चोर को भी यह उचित मोका लगा महल मे घुसने का, ओर लोगो के साथ चोर भी महल मे घुस गया, ओर आंख बचा कर एक पेड पर चढ के पत्तो मे छुप गया ओर रात होने का इन्तजार करने लगा, शाम तक सब मेहमान महल से चले गये, उधर चोर को साधु बाबा को दिया वचन भी याद आया,आधी रात को

चोर पेड से उतरा, ओर दबे पावो से अभी थोडी दुर ही गया था की उसे एक कडक आवज सुनाई दी ? कोन हे वहा...चोर अपने वचन का पक्का था तो चोर ने बही से जबाब दिया .. चोर हू, फ़िर से बही कडक आवाज आई कया करने आये हो.. चोर ने कहा खजाने मे चोरी करने आया हू... वो कडक आवाज पेहरेदार की थी, पहरेदार ने सोचा महल का ही कोई सिपाही हे जो मजाक कर रहा हे चोर कभी थोडे ही ऎसे बोले गा, तो पहरेदार ने कहा तो समने जायो खाजाना वहा हे, चोर बहुत हेरान हुया, ओर समाने की तरफ़ चल पडा, सामने एक ओर महल था, चोर ने देखा यहां कोई नही पहरे पे ओर जब वो उस महल मे जाने लगा तो दो पहरे दारो ने उसे पुछा कोन हो,ओर कहा जा रहे हो, चोर ने कहा चोर हु, ओर चोरी करने जा रहा हू,यह सुन कर पहरे दार थोडा चकराये, उन्होने सोचा यह कोई राजा का खास आदमी हे जो हमे चेक करने आया हे,ओर एक पहरे दार उस चोर के साथ अन्दर गया ,ओर उसे खाजने मे पहुचा दिया, ओर आप वपिस आ गया, अन्दर चोर ने देखा, चरो ओर धन ही धन हीरे जवाहरात,सोना ओर सिक्के हि सिक्के, लेकिन तभी चोर कॊ बाबा का उप्देश याद आया सच बोलो सच से बडा कोई नही झुठ के पाव नही होते, ओर सच बोलने बाले पर सभी विशबास करते हे, चोर न्र कहा हा बाबा सच ही तो कहते हे, आज मेने सच बोला तो इस खाजाने तक पहुच गया.

कया सच मे इतनी ताकत हे, तभी वहा सेनापति पहुच गया, वो चोर को पह्चानता था, दुसरे दिन चोर को राजा के समाने पेश किया गया, जब चोर ने सारी बात सच सच बताई तो राजा ने सब हाल सुन कर उसे महल के खाजाने का पहरेदार बना दिया, (क्यओ की राजा पहचान गया था कि चोर अब मन से बदल गया हे )ओर चोर ने उस बाबा के पाव पकड कर वचन दिया बाबा मे आज के बाद कभी भी गलत काम नही करु गा, ओर सदा सच बोलुगा.

4 comments:

  1. सत्यमेव जयते..

    राज जी सचमुच आपने जो कहानी लिखी है मन को छू लेती है और सच की प्रेरणा देती है आपका बहुत धन्यवाद

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  2. आप कह तो सही रहे है। कोशिश करते है। उम्मीद करते है कि ऐसा ही राजा मिलेगा। ;)

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  3. सर जी ये बात तो सच है कि सच में बहुत ही दम है आपका चिंतन सही है।।।।।।।।

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  4. आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद

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