मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
09/03/08
यह लो शादी का लड्डु (पंजाबी)
कहते हे शादी का लड्डु जो खाये वो पछ्तये, जो ना खाये वो भी पछतये,अब आप ही फ़ेसला कर लो लड्डु खाने वाला कुछ ऎसा हॊ या फ़िर इन साहब से अलग, तो देखिये इन की आप बीती फ़िर शादी का विचार करे (अगर नही हुई तो )
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बहुत खूब। सही बात है, जो खाए वो पछताए, जो न खाए, वह भी पछताए।
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