13/03/08

चिंतन सादगी

विचारो का मन्थन यानि चिंतन,विश्व के महान व्यक्तियो का जीवन हमेशा सादा रहा हे,सादा खाना, सादा पहनना, लेकिन उन के काम बहुत ही महान, उन के काम जितने महान उन के विचार भी उतने ही महान, लेकिन जीवन बिलकुल सादा, यही तो हे महानता, कोई घंमण्ड नही.

आज का चिंतन

अलवेर्ट आईस्टाईन बहुत ही महान थे, फ़िजिक्स के विज्ञानिक थे, एक बार उन्हे बेल्जियम की रानी ने अपने महल मे उन्हे बुलाया,जिस दिन आईन्स्टाईन ने आना था, रानी ने स्टेशन पर उन के स्वागत के लिये ओर उन्हे लाने के लिये अपनी शाही सवारी भेजी,ट्रेन अपने सही वक्त पर आई, लेकिन उन लोगो को ट्रेन मे कही भी आईन्स्टाईन नजर नही आये, लोगो ने कोई भी ऎसा सुट वाला ओर रोब वाला आदमी नहि देखा,जो उन्हे आईन्स्टाईन लगे,सब लोग महल मे वापिस आ गये,ओर रानी को बताया,२,३ घण्टे के बाद महल के दरवाजे पर एक आदमी जिस ने साधारण से कपडे पहने थे, ओर हाथ मे एक थेला था, पुछताश करते ही महल मे खलबली मचगई, ओर रानी खुद उन्हे लेने आई,वो थे आईन्स्टाईन अल्वेर्ट.

जब रानी ने कहा हम ने तो आप के स्वागत के लिये स्टेशन पर लोग भेजे थे, शायद लोग आप को पहचान नही पाये, तो आईन्स्टाईन ने कहा मुझे नही पता था आप ने मेरे लिये लोगो को भेजा था, कोई बात नही, रानी ने कहा तो आप महल तक केसे आये, तो आईन्स्टाईन बोले पेदल, रानी ने कहा इतनी दुर पेदल, तो आईन्स्टाईन बोले फ़िर कया हुआ,मुझे तो आदत हे, ओर फ़िर पेदल चलने से एक तो कसरत हो जाती हे दुसरा चिंतन भी हो जाता हे,तो रानी उन्हे अवाक देखती रह गई.

1 comment:

  1. 'आज के चिंतन' में आइस्टाईन की इस घटना का उल्लेख बड़ा ही सुंदर, ज्ञानवर्धक,
    विचारशील है। सादगी की दिशा भी मिलती है। बधाई स्वीकारें।

    ReplyDelete

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये