13/03/08

चिंतन नेकी ओर दिखावा

आज का चिंतन. हम लोग कई बार अच्छे काम भी करते हे तो चाहते हे, उससे सभी जाने, दान या किसी की मदद करते हे तो चाहते हे सब जाने, पुजा पाठ मे भी दिखावा, फ़िर हम शान्ति भी चाहते हे, तो लिजिये आज का चिंतन...
चिंतन
सेठ किशन लाल शहर के बहुत बडे सेठ थे, शहर का बच्चा बच्चा उन्हे जानता था,थे भी बहुत उपकारी, शहर मे बडे बडे मन्दिर सेठ जी के नाम से ही थे,पुजा पाठ भी बहुत करते थे, महिने मे ३,४ बार हवन जरुर करते, फ़िर कभी रामायण का पाठ, कभी गीता का पाठ, गरीबो की मदद भी करते थे.ओर जितना भी वो पुजा पाठ करते,गरीबो पर उपकार करते उन का व्यावसाये भी उतना ही बडता जाता था. भगवान की करनी आज सुबह ही सेठ जी गुजर गये.
सेठ जी मरने के बाद कया देखते हे कि वो एक बहुत बडे मेदान मे खडे हे, उन के सामने १०, १२ लोग भी खडे हे, अरे उन के सामने बिलकुल आगे भिखु भिखारी भी खडा हे, तभी सेठ जी की नजर इस लाईन के दुसरे कोने पर जाती हे, जहां एक आदमी खडा हे ओर उस आदमी के पिछे एक बोर्ड लगा हे जिस पर एक तरफ़ नर्क तो दुसरी ओर स्वर्ग लिखा हे, ओर वो हर आने वाले कॊ एक इशारा करता हे, जिधर भी इशारा होता हे आने वाला आदमी उस ओर चला जाता हे,
थोडी ही देर मे भिखु भिखारी का नाम आया तो उस आदमी ने स्वर्ग की ओर इशारा किया भिखु उस ओर चला गया, फ़िर सेठ का नाम आया तो उस आदमी ने नरक की ओर इशारा किया, सेठ जी बोले आप दुवारा से मेरा नाम देख ले, शयाद आप गलती कर रहे हे,मेने तो शहर मे बहुत से मन्दिर बनवाये हे,गरीबो की सेवा की हे,अभी अभी जो भिखु जहा से गया हे उसे मे ही खाने ओर पहनने को देता था ओर आप मुझे नरक मे.... बात पुरी सुन कर वो आदमी बोला आप ने मन्दिर तो अपने नाम से बनवाये थे,सभी मन्दिरो पर लाला किशन लाल लिखा हे,गरीबो की मदद करके दुसरे दिन हर समा
चार पत्रो मे आप के नाम का गुनगान होता था,वहां भगवान की तो चर्चा भी नही होती थी, पुजा पाठ भी केसी उस मे सब आप के गुनगान करते थे,ओर यह सब आप करते थे अपने नाम के लिये, आप ने भगवान ने नाम से कुछ भी नही किया,अब सेठ जी बोले ओर वो भिखारी जो मेरे टुकडे खाता था, फ़िर उस आदमी ने कहा वो आप के दिये टुकडे ले कर जब जाता था तो रास्ते मे उसे कोई भी दुसरा भूखा मिलता तो भगवान का नाम ले कर उसे दे देता था, खुद भुखा ही सो जाता था, आप का दिया कम्बल भी इस ने बिना अंहकार के किसी ओर को दे दिया ओर खुद सर्दी मे मर गया,इस ने जो भी किया उसे दुसरो को नही जताया,सचे मन से किया,ओर आप जो भी करते थे उस मे हमेशा अंहकार होता था देखो मेने मन्दिर बनबा दिया, देखो मेने गरीबो कॊ कम्बल बांटे, देखो मेने गरीबो को खाना खिलाया.

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