06/03/08

चिंतन (परिश्राम )

आज का चिंतन उन परिश्राम करने वालो के नाम , परिश्राम करने वालो इज्जत सभी करते हे,ओर परिश्राम करने वाले हे,देश को,अपने राज्य कॊ,अपने खानदान को ओर खुद को उस मजिंल पे लेजाते हे जहा सभी उन की इज्जत दिल से करते हे

एक बार राजा नेपोलियन अपनी पत्नि के साथ शहर मे घुमने गये,घुमाते घुमाते वो एक सकंरे रास्ते से निकले, तभी सामने से एक गरीब आदमी सर पे कटी हुई लकडियो का गठ्ठर ले कर आया,रास्ता सकंरा था, सो नेपोलियन ने देखा ओर एक तरफ़ होगया, ओर अपनी बीबी को भी इशारा किया रास्ता देने के लिये,जब वो आदमी नजदीक आया तो नेपोलियन ने उसे झुक कर सलाम किया, वो आदमी वहा से बिना कुछ कहे चला गया,
नेपोलियन की पत्नि को बहुत गुस्सा आया, ओर बोली आप राजा हे, आप ने उसे सलाम किया ओर वो बिना कुछ वोले ,बिना सलाम किये, आप के सलाम का जवाव दिये बिना यहा से चला गया.
बात सुन कर नेपोलियन बोले, वो आदमी मेहनती हे उस के सर पर लकडिया नही जिम्मेदारियो का गठ्ठर था,ओर मेहनती आदमी खुद एक राजा होता हे, उसे चापलुसी या ऎसी बातो के लिये समय नही होता, वो आदमी सजा का नही ईनाम का हक दार हे,मेहनती आदमी ही देश को आगे लेजाता हे चापलुस नही चापलुस देश का सत्यनाश करता हे,अब तुम भी उसे सलाम करो,मेने मेहनत से ही इस देश कॊ यहां तक पहुचया हे,हमे मेहनती आदमी की इज्जत करनी चहिये.

2 comments:

  1. वाह, हमारा भी मेहनती आदमी को सलाम... हाँ नेपोलियन को भी

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  2. आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये.

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