मेने अक्सर सुना हे ओर अखबारो मे, समाचार पत्रो मे पढा भी हे,भारत मे जब बच्चे को स्कुल मे दखिल करवाने जायो तो बच्चे के साथ साथ मां बाप का भी टेस्ट लेते हे,लेकिन क्यू,मेरी इस कयू का जबाब किसी ने नही दिया,सब का लगभग एक ही जबाब था चलता हे,
जिस देश मे हम रहते हे,यहां पर हमने बच्चे के स्कुल का फ़र्म खुद ही भर दिया,अगर गलत हे तो स्कुल के कलर्क उसे ठीक कर लेते हे,कोई टेस्ट नही कोई इन्ट्रव्यु नही,
५बी के बाद नये स्कुल मे बच्चे गये,वहां भी हम दोनो मियां बीबी जा कर फ़ार्म भर आये,सब काम ४,५ मिन्ट मे पुरा हुया,यहा भी कोई टेस्ट वेस्ट नही,यह सब हमारे भारत मे ही कयो होता हे , जितने उलटे काम सभी हमी कयो करते हे,
aap toh is bharat sae dur haen phir aap ko yaahan kii perashaiyaa chochlae , dakhosalae kyon pareshan kartey haen. jo desh sae door haen desh prem per naa bolae aur desh kii buraaii to kam sae kam naa hee karae
ReplyDeleteकेवल जी, घर से दुर जाने पर घर, या घर वाले छुट तो नही जाते,भारत मेरा देश हे,तुम सब भी मेरे हो तुहारी प्रेशानिया भी तो हमारी हुई, फ़िर अपने घर मे जो कमी हो उस पर चर्चा करना बुरा हे कया ?वेसे मेने भारत की बुराई नही की.
ReplyDeleteइसलिये क्योंकि जब बच्चे के मां बाप ने अपना एडमिशन करवाया था, तब टेस्ट नहीं होते थे. अब उनका टेस्ट लेकर कमी पूरी की जा रही है तो आपको कमी हटाने में कमी क्यों नज़र आ रही है.
ReplyDeleteऔर रहा बच्चा वो अपना टेस्ट अपने बच्चों का एडमिशन करवाते समय दे ही देगा, अगर आप इस परम्परा आपके अर्थों में गुंडागर्दी को जारी रहने देंगे तब न ?
राज भाटिया जी की कोई ऐसी मन्शा नहीं दिखाई देती कि वे भारत को किसी भी प्रकार से नीचा दिखाने की कोशिश की हो। वास्तव में तो प्रवासी लोग इस कारण से ऐसी बातें पूछ लेते हैं जिससे यदि कोई विदेशी(जैसे गोरा) ताना सा मारते हुए कुछ ऐसा विकट सा सवाल सामने लाए तो मुंह तोड़ जवाब दे सकें। आज दुनिया बहुत छोटी हो गई है। हर देश में दूसरे देश की बुराईयां या अच्छाईयां मीडिया द्वारा पहुंच ही जाती हैं। छुपाने से दोनों ही गुण छिपते नहीं हैं।
ReplyDeleteजहां तक माता पिता के टेस्ट की बात है, यह मुझे मालूम नहीं कि वह लिखत टेस्ट है या
जुबानी। यदि मां बाप के लिए लिखित टेस्ट दिया जाता है तो उन अनपढ़ लोगों का क्या होगा ? क्या उनके बच्चों को दाखला नहीं देना चाहिए? विधान के अनुसार हर बालक को शिक्षा का अधिकार है।
शिक्षा का व्यावसयीकरण हुआ है। ये वे ही स्कूल हैं जो मां-बाप का इंटरव्यू ले कर उन की जेब का फ्यूचर टटोलते हैं।
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत ध्न्यवाद टिपण्णी देने के लिये.
ReplyDeleteपसन्द कौन सी आई और मज़ा किसमें आया, यह भी तो बताईये ? बताईये ?? धन्यवाद करके ही न खिसक जाईये.
ReplyDeleteअविनाश भाई मे सीधा सादा आदमी हु,मुझे सीधी बात समझ मे आती हे,घुमा फ़िरा कर बात करना मुझे नही आता , ओर ना ही ऎसी बात समझ मे आती हे,मुझे आप सब की टिपण्णी पसन्द आई,अब जिस की जितनी समझ हे उस ने उसी के हिसाब से टिपण्णी दी हे,अब इस मे मजा आने की कया बात हे,अगर आप मां बहिन की गलिया भी दो गे तो, मे थोडे ही ना वपिस दुगां, यह तो हमारे संस्कार हे, आप को दुवार से धन्य्वाद करता हु,कुछ बुरा लगे तो माफ़ करना.
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