दुसरे दिन सुबहा सुबहा सब जाग गये,बहिर सुरज देवता भी आ गये थे,हमारा होटल काफ़ी उपर था पहडी पर,ओर वहा से नीचे झील ओर दुर दुर तक हरयाली ही हरयाली फ़िर पहाड ,१०,०० बजे तक सब तेयार हो चुके थे ओर आज का कार्यकर्म हमिद ओर मेने रात को ही बना लिया था
यहा से हम Lauterbrunnen-Trümmelbach लऊतरब्रुनेन-तरौम्मेलवाख की तरफ़ चल पडे,झील के किनारे किनारे बड्ते गये ओर झील काफ़ी पीछे रहा गई थी,आगे चलकर सब बहुत ही मजा आ रहा था,कार बहुत ही धीरे धीरे चल रही थी चारो ओर अद्भुत सा नजारा था दोनो ओर उंचे ऊंचे पहाड थोडी थोडी दुरी पर झारने, जेसे ईन्दर लोक मे पहुच गये हो ,आखिर हम ने कार एक तरफ़ पार्क कर दी ओर खुब फ़ोटो ली, सबसे उपर वाली फ़ोटो जुरिख की हे बीच वाली फ़ोटो नीदररीड की हे,नीदररीड इनटेरलकेन का ही एक हिस्सा हे,ओर नीचे वाला चित्र लऊतरब्रुनेन का हे, आगे का हाल कल को
आपने खूब घुमाई की..कभी मौका मिला तो हम भी स्विट्जर लैन्ड देखेंगे।
ReplyDeleteमिश्रा जी ध्न्य्बाद आप के पधारने का,जर्मन मे D को द बोलते हे इस लिये आप को शयाद मेरे शव्द गलत लगते हो, हमारा होसला बनाये रखे,धीरे धीरे पुरा यूरोप घुमये गे.धन्य्बाद
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