गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ साहित हाजिर हुं
आप सब को आज इस दिन की बहुत बहुत बधाई, ओर हमे उन सभी शहीदो का धन्यवाद करना चाहिये, जिन्होने इन गोरो को ईंट का जबाब पत्थर से दे कर, ओर उन के पिछवाडे लात मार कर देश से निकाल दिया. मेरा नमन है उन सब शहीदो को.
तो चलिये अब हम आप को ब्लांग टंकी के उदघाटन समारोह की ओर ले चले....
अभी दिल्ली का सब से बडा बेंड मधुर धुन मै बज रहा है, ओर बहुत से ब्लांगर उस बेंड की धुन पर भागडा डाल रहे है, नाच रहे है, खुशियां मना रहे है.
वो देखिये उस तरफ़ खाने पीने का पुरा इंतजाम है, ओर इधर कुछ ब्लांगरा( हमारी ब्लांग लेखिका) अपनी मधुर मधुर ओर मीठी आवाज मै मंगल गीत गा रही है, ओर उस तरफ़ देखे मिडिया वाले भी छाये हुये है, ओर सभी ब्लांगरो से बात कर रहे है.
बच्चे भी बहुत खुश है, ओर खुशी मै इधर उधर भाग रहे है, खुब मोज मस्ती कर रहे है.
अजी यह लिजिये हमारे पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी भी हवन करने के लिये तेयार है, ओर उच्च स्वर मै मत्रॊ का उचारण कर रहे है अपनी मधुर आवाज मै.
टंकी पर चढने या जवर्द्स्ती चढाने के लिये देखिये सब ने मिल कर ताऊ जी को तेयार कर लिया है , ओर ताऊ रामपुरिया जी भी आज अपना हरियाण्वी चोला पहन कर ओर मुंछो को खडा कर के अकड से खडे है, बिलकुल दुल्हे मियां की तरह से, कमर मे तलवार भी लटकी है.ओर बेंड बाजो वालो ने अभी अभी नया गीत शुरु किया है..कर चले हम फ़िंदा....
ओर ताऊ जी सब लोगो के संग अब टंकी की ओर प्रस्थान कर रहे है, ओर उन के आगे आगे सब मिल कर फ़ुलो की चादर उन के कदमो मै बिछा रहे है.....
तभी कही से माईक से एक आवाज आती है....... सब चोंक कर उस तरफ़ देखते है, तभी फ़िर से आवाज आई, ब्लांगर वालो इधर उधर क्या देखते हो, ऊपर देखो टंकी पर,ओर सब उस तरफ़ देखते है, ब्लांगिग कर कर के सब ब्लांगरो के चशमे लग गये है इस लिये कोई पहचान नही पाया कि यह कोन है, लेकिन आवाज बहुत मीठी थी.
ब्लांगर वालो जमाना बदल गया है इस बार वीरु नही बसंती चंढी है टंकी पर, तभी पीछे से मोसी की आवाज आती है...अरी कलमुही, मिनी स्कर्ट पहन कर तु टंकी पर चढ गई, शर्म कर.... सब कुछ दिख रहा है:अरी ऊपर चढना था तो कम से कम कोई ढंग का कपडा तो पहन लेती, चल जल्दी नीचे उतर,तभी बसंती की आवाज आती है ब्लांगर वालो सब से पहले तो मोसी को समझाओ अब जमाना बदल गया है,मोसी तु सठिया गई है, लेकिन बेटी देख सब तुझे घुर रहे मोसी बीच मै ही बोल पडी, बसंती... तो इस मै मेरी क्या गलती है मै आजाद हुं जो चाहूं पहनू, मोसी तु इन घुरने वालॊ को समझा
तभी ताऊ ने पुछा अरी बसंती अब तुझे क्या दिक्कत है, चल नीचे आ जा, ब्लांगर वालो ओर ताऊ जी तुम सब मुझे टिपण्णीयां नही देते, सब मिल कर मेरी टांग खीचते हो, देखो आज मै कया करती हुं, नरियाल पानी पी कर मै इस टंकी से कुद जाऊगी... ओर तुम सब जेल मै
तभी राज भाटिया पुछते है.... यार यह नारियल पानी क्या होता है?
ताऊ चुप करो राज जी आप तो विदेश मै रह कर सब भुल गये
तभी पीछे से Udan Tashtari यानि समीर जी की आवाज आती है यार यह लडकिया मिनी स्कर्ट क्यो पहनती है?
पी.सी.गोदियाल ने झट से जबाब तो क्या यह भी ना पहने? अरे कुछ तो पहनाना है ना?
ताऊ जी चीखे अरे इसे नीचे उतारो यह तो कही शुभ महुर्रत निकल ना जाये है.
अरे बसंती बोल तु हम से कया चाहती है, देख अब तो ताऊ भी तेयार है....तभी पिछे से ताई ने बोलने वाले के सर पर एक लठ्ठ जमाया,तो ताऊ बीच बचाव कर के बोला अरे भागवान क्यो मेरी टिपण्णी का सर फ़ोड दिया, इस का कहने का मतलब था कि ताऊ भी तेयार है तुझे नीचे उतारने के लिये.अब ताई को बहुत गुस्सा आया ओर फ़िर ताई लठ्ठ ले कर ताऊ की ओर लपकी, लेकिन ताऊ पहले ही समझ गया था ताई के तेवर, ओर ताऊ सर पर पांव रख के भागा, पीछे लठ्ठ ले कर ताई ओर ताई के पीछे पीछे बच्चे, ओर उधर बेंड बाजे वालो ने भी घुन बदल दी... मुझे मेरी बीबी से बचाओ बचाओ...लेकिन भागते भागते भी ताऊ ने बसंती को कहा....
देख बसंती तुझे धन्नो का वास्ता नीचे उतर आ.
नही कभी नही, पहले मुझे बताओ कि क्या आप मुझे ब्लांगरा ओ सॊरी क्या आप मुझे ब्लागर नही समझते, सभी ने एक स्वर मै कहा जी समझते है, तो फ़िर ताऊ को क्यो चुना उदघाटन के लिये, ओर मुझे तो बताया तक नही, जब कि मै ताऊ से पहले ब्लांगर बनी थी.मै सीनियर थी,
देख बसंती अब तो तेरी फ़िल्म भी बन रही हे, ओर अब तु भारत मै नही पुरी दुनिया मै प्रसिद्ध हो गई है, लेकिन बसंती नही मानती ,ओर इसी बीच घुमती फ़िरती हुयी बसंती का पांव फ़िसला तो वो सीधे नीचे की तरफ़ गिरती है, लेकिन नीचे बचाव के लिये जाल लगा था इस कारण बसंती बच गई ओर आज का यह उदघाटन समारोह उस के बाद जोर शोर से चला फ़िर सब ने खाना खाया ओर खुब नाच गाना हुआ.
ओर इस शोर शराबे मै ओर पंगे मै शुभ महुर्रत भी निकल गया टंकी पर चढने का, ओर बसंती लिफ़ट की चाभी भी ऊपर छोड आई,लेकिन शुभ महुर्रत तो हो ही गया सब ओर बसंती की जय जय कार हो रही है, ओर मै भी बसंती के फ़ोटू ओर परिचाय ले कर आता हू,ओर फ़िर कुछ दिनो की छुट्टी
Sajeev chitran kar diya sir, pahle to mujhe laga ki hen aap India pahunch bhi gaye???
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें....
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...
अरे ये क्या! सब के सब भाग लिए.....
ReplyDeleteअरे हमारी दक्षिणा कौन देगा! देखो कैसी अंधेरगर्दी छाई है..पूजा के टाईम पर तो हर कोई प्रधान बना हुआ था कि पंडित जी, मन्त्र जरा ऊँची आवाज में बोलिए। मुहूर्त का समय निकला जा रहा है, जरा जल्दी कीजिए...बाद में आपको खुश कर देंगें।
अब जब दक्षिणा देने का टाईम आया तो सब के सब भाग लिए.....घोर कलयुग आ गया। अब तो लोग ब्राह्मणों का पैसा भी हजम करने लगे :)
देख लेना..आप सब को पाप लगेगा :)
हा हा हा! पंडित जी टंकी पर चढने वाले को उतर भागने की जल्दी होती है और मौज लेने वालों की कोई पहचान नही होती ऐसे मे आप दक्षिणा भुल ही जाईए। नही अपणे भाटिया जी तो हैं ही प्रमुख जजमान और आयोजक, चिंता की बात नही हम फ़रवरी मे दिल्ली मे मिल ही रहे हैं।
ReplyDeleteटंकी उद्घाटन और गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना!
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
चलो टंकी का लोकार्पण हो गया। चढ़ने में सुविधा रहेगी।
ReplyDeleteअथ ब्लोगर टंकी महा पुराण ..निर्विघ्नं सम्पन्नः कुरु देव ...
ReplyDeleteउलटे सीधे ही सही ...मंत्र तो हैं ...बसंती बच गयी .... शुभकामनायें ...
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ....!!
टंकी के उद्घाटन के बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ!
ताऊ की तो टैण टैणेन हो गई...काश बसंती के गिरने पर हम भी जाल संभालने वालों में खड़े होते...राज जी, एक बार हमारी खातिर बसंती से एक्शन रिप्ले कराइए न...समीर जी के सवाल का जवाब ढूंढना है...
ReplyDeleteजय हिंद...
ये जोरदार टंकी बनवा दी आपने. सब अपनी इच्छा पूरी कर लिया करेंगे. हमने तो उदघाटन करना था सो कर दिया.:)
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
सोचा तो मैंने भी बहुत पहले था इस लिहाज से मैं हुआ न सीनियर. खैर बसंती को अपना काम करने दीजिये हम अपना करते हैं.
ReplyDeleteटंकी पर चढ़ने के लिए मेरा रिजर्वेशन कर लिया जाये। कूदने का तरीका सिखला दिया जाये।
ReplyDeleteइस आँखों देखा हाल में जय कहीं नहीं नजर आया। मार्केट डाउन है क्या? :)
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति।
शुभ गणतंत्र।
बहुत सुन्दर! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबधाई हो आपको राज जी आपने आखिरकार कठोर परिश्रम कर नई टंकी बनवा दी और उसमे चढाने के लिए ताउजी को तैयार कर लिए आप बधाई के पात्र हैं .. फोटो में देखिये लाव लश्कर के साथ ताउजी ऊपर चढ़ने के लिए तैयार बैठे हैं ... आनंद आ गया . भागडा करते ओरो की फोटो कहाँ हैं .....
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना
बधाई हो आपको राज जी आपने आखिरकार कठोर परिश्रम कर नई टंकी बनवा दी और उसमे चढाने के लिए ताउजी को तैयार कर लिए आप बधाई के पात्र हैं .. फोटो में देखिये लाव लश्कर के साथ ताउजी ऊपर चढ़ने के लिए तैयार बैठे हैं ... आनंद आ गया . भागडा करते ओरो की फोटो कहाँ हैं .....
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना
राज भाई !
ReplyDeleteबहुत मस्त लिखा है ! इस टंकी की बहुत आवश्यकता रहती है पापुलर ब्लागरों को नौटंकी के लिए ! देखते हैं कि अब कौन चढ़ता है ? शुभकामनायें !
अब टंकी बन गई है तो काम भी आयेगी...
ReplyDeleteलेकिन वो हमारे पंडित वत्स जी के पैसे तो दिलवाओ दक्षिणा वाले??
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बढियां दृश्य खींचा है
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें....
ReplyDeleteहा हा हा हा ..
ReplyDeleteयुंकी वीरू की जगह बसंती टंकी पर ...हा हा हा
मंगल भवन ये टंकी तुम्हारी
बसंती को भली तुमने उतारी.....
जय टंकाय नमः......
यह जुगल बंदी भी खूब रही भाटिया साहब , आपको भी गणतंत्र दिवस की शुभकामनाये !
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर आपको भी हार्दिक शुभकामना ...ये टंकी उदघाटन कार्यक्रम अच्छा लगा यदि निमंत्रण मिलता तो हमारी भी उपस्थिति होती खैर आगे से याद रखियेगा आभार
ReplyDeleteवाह कब टैंकी बनी और कब उदघाटन भी हो गया हमे कानो कान खब न हुई। अगली बार जरूर बुलायें हमे। सुन्दर लगा ये प्रोग्राम शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही चुटीले अंदाज़ में व्यक्त आपकी लेखनी गुदगुदा गयी!!
ReplyDeleteहा-हा-हा
ReplyDeleteबहुत बढिया जी
प्रणाम
:)
ReplyDeleteमेरे खाना मसाला ब्लॉग पर टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपका सुझाव बहुत अच्छा लगा! धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी शायरी ब्लॉग पर आपका टिपण्णी मिलने पर बेहद ख़ुशी हुई! वक़्त मिलने से मेरी कविता ब्लॉग भी पढ़िएगा!