मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
08/10/08
शराबी जमीं पै
एक शराबी फ़िल्म **तारे जमीं पर** देख कर आधी रात को घर लोटा ता है ओर साथ साथ मे गुनगुना रहा है... आप भी सुने अरे नही मेने सुना ओर अब यहां लिखा दिया अब आप भी पढे उस गरीब शराबी के मन का दुख.... इस दुखी की कहानी आप यहा पढ सकते है.
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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
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