13/07/08

शेर ओर सेर

अर्ज किया हे, ध्यान से पढिये, तो अर्ज किया हे....
यह शोख शेर मेरा नही , किसी महान आत्मा ने मुझे सपने आ कर खुद सुनाया हे, ओर लिखने को मजबुर किया हे.. तो अर्ज हे..
खिडकी से देखा , खिडकी से देखा सडक पर कॊइ नही था,
खिडकी से देखा , खिडकी से देखा सडक पर कॊइ नही था,
सडक से देखा, सडक से देखा खिडकी पर भी कोई नही था

3 comments:

  1. sahi hai. itana badhiya sher to pahali bar padh rahi hun.

    ReplyDelete
  2. bahut khoob khadaki or sadak se dekha koi nahi .yadi galib hote to ve khush ho jate raaj ji . badhiya laga chota sa sher

    ReplyDelete
  3. भाटिया जी
    जिसने भी आप को ये शेर सुनाया यकीनन बहुत ज्ञानी व्यक्ति है...ऐसी सोच एक साधारण इंसान के दिमाग में तो आ ही नहीं सकती..वाह.
    नीरज

    ReplyDelete

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये