क्रमश से आगे...
जनक पुर मे पिता के घर सीता जी का सब के साथ बडे प्रेम का बर्ताव था,छोटे बडे सभी स्त्री पुरुष सीता जी की हदया से,प्रेम भाव सेआदर करते थे,सीता जी शुरु से ही सलज्जा थी,ओर लज्जा ही स्त्रीयो का आभुषण हे,वे प्रतिदिन माता पिता के चरणो मे प्रणाम करती थी, ओर घर के सभी नोकर चाकर उन के व्याव्हार से प्रसन्न थे, सीता जी के प्रेम के बर्ताव क कुछ दिग्दर्शन उस समय के वर्णन से मिलता हे,जिस समय वह ससुराल के लिये विदा हो रही हे,
पुनि धीरजु धरि कुंआरि हंकारीं , बार बार भेटहिं महतारी.
पहुंचावहिं फ़िरि मिलहिं बहोरी ,बढी परस्पर प्रीति न थोरी..
पुनि पुनि मिलत सखिन्ह बिलगाई, बाल बच्छ जिमि धेनु लवाई.
प्रेमबिबस नर नारि सब सखिन्ह सहित रनिवासु,
मानहुं कीन्ह बिदेहपुर करुनां बिरहें निवासु.
सुक सारिका जानकी ज्याए, कनक पिंजरन्हि राखि पढाए,
ब्याकुल कहहिं कहां बॆदेही, सुनि धीरजु परिहरई न केही.
भए बिकल खग मृग एहि भांती, मनुज दसा कॆसे कहि जाती,
बंधु समेत जनकु तब आए, प्रेम उमिग लोचन जल छाए.
सीय बिलोकि धीरता भागी , रहे कहावत परम बिरागी,
लीन्हि रायं उर लाइ जानकी, मिटी महामरजाद ग्यान की.
जहां ज्ञानियो के आचार्य जनक के ज्ञान की मर्यादा मिट जाती हे ओर पिंजरे के पखेरु तथा पशु-पक्षी भी ‘ सीता ! सीता !! पुकारकर व्याकुल हो उठते हॆ वहां कितना प्रेम हॆ. इस बात का अनुमान पाठक कर ले, सीता जी के इस चरित्र से स्त्रियो को यह शिक्षा ग्रहण करनी चाहिये कि स्त्री को नॆहर मे छोटे बडे सभी के साथ ऎसा बर्ताव करना उचित हे जो सभी को प्रिया हो.
क्रमश...
मेरी कोई भी गलती हो तो आप इस ओर मेरा ध्यान दिलाये ओर क्षमा करे, ओर मुझे यह शव्द लिखना नही आता कोई मेरी मदद करे ** ज्ञ ** यह शव्द तो मेने कापी किया हे कही से .
राज भाई
ReplyDeleteमैं बारहा प्रयोग करता हूँ उसमें ज्ञ लिखने के लिये j~j टाईप करना होता है. शायद काम आ जाये.
शुभकामनायें.
बात अच्छी लिखी है। ज्ञ को हम सीधे टाइप करते हैं। इनस्क्रिप्ट सीखी इसी लिए। पन्द्रह दिन लगे। सब सामान्य हो गया। आप भी सीख लीजिए। हिन्दी ब्लॉगिंग में मजा आ जाएगा।
ReplyDeleteपवित्र नवरात्रों मैं आपका यह लेख अति उत्तम है..
ReplyDeleteसाधुवाद
ज्ञान की अच्छी बातें बता रहे हैं राज चाचा.
ReplyDeleteहां, समीर जी के ज्ञ का formula हमने भी ज्ञान में ले लिया. उनका भी धन्यवाद.
shukriya....aaj subah subah aapne bhaut kuch de diya..
ReplyDeleteसमीर जी धन्यवाद लेकिन ज~ज भी कामयाब नही रहा, मे भी बारहा म ई १ का प्रयोग करता हु, शायद हो सकता हे मेरा की बोर्ड जर्मन मे हो या अभी मुझे इतना ज्ञान ना हो,दिनेश जी मुझे भी लगता हे पन्द्रह दिन ही लगे गे,अभी तो मेने ज्ञान ज्ञान दत्त जी के नाम से कापी किया हे,
ReplyDeleteआप सब का बहुत बहुत धन्यवाद,आप सभी को नवरात्रों शुभ शुभ आये .