मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
25/02/08
हरियाणवी लोक गीत
मेने जिन्दगी के कुछ वर्ष हरियाणा मे बिताये हे ( रोहतक ) मे इस कारण थोडी बहुत हरियाणावी भी बोल लेता हु,आज घुमते घुमते यह लोक गीत हाथ लगा, आप भी सुने,एक नवविवहता की राम कहानी.. बेचारी..... स्त्रियां
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मजेदार..........
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