मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
03/02/08
तुम्ही मेरे मन्दिर तुम्ही मेरी पुजा...
एक मासूम सा, पवित्र सा गीत,पति पत्नी के रिश्तो को ले कर.जिस मे ना कोई मांग,ना कॊई हक बस समार्पण,कया यही हे प्यार,वेसे तो पुरी फ़िल्म ही देखने लायक हे.
फ़िल्म खानदान,गायक ळता जी, पर्दे पर सुनील दत्त,ओर नुतन जी, तो आप भी लिजिये इस गीत का लुतुफ़...
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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
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