17/01/08

हमारी ईटली यात्रा भाग २



नमस्कार, तो अब हम आगे चले,हां तो पट्रोलपम्प का साईन बोर्ड देख कर भी हम मस्ती मे चलते रहे ओर बातो बातो मे जब पेट्रोल्पम्प के पास पहुचे तो स्पीड ज्यादा होने की वजह से रोक पाना मुस्किल था, सो हम आगे निकल गये,अब गर्मी से सब का बुरा हाल होने लगा था, A/C चलया तब जा कर आराम आया,( १५ दिन बाद जब वपिस आये तो यही आकर A/C को बन्द किया ) थोडी ही दुरी पर हमे अगले पेट्रोलपम्प के साईन मिल गये, अब सब ने चुस्ती बरती, ओर १०, १२ किलोमीटर दुर ही से मेने कार धीरे वाले ट्रेक मे डाल दी,पेट्रोलपम्प पर पहुच कर कार पर्किग मे कार पार्क की,सब बाहिर निकल आये,मुझे निकलने मे थोडी देर लगी कयो कि मेरी कमर मे (एक दिन पहले नस चडने कि वजह से ) दर्द था, लेकिन मे भी धुन का पक्का था इस लिये तानी कमर से ही काम चला लिया,लेकिन चाल गजब की थी,देखने बाले शायाद समझते हो गे देखो केसे तन कर चल रहा हे,
यहां हम करीब १ घण्टा रुके,कार से बाहिर आकर ऎसा मह्सुस हुआ जेसे भारत मे ही कही हो, वेसा ही मोसाम,एक दम गर्मी, लोग भी हमारे जेसे काले बाल काली आखे, हमारी तरहा से ब्रुउन,बोलने का भी वही अंदाज ऊंची ऊंची आवाज मे चारो ओर गर्मी से झुलसा हुआ घास,वही चिडियो की चहचहाट, सच बहुत अच्छा लगा, हम लोगो ने दिन्चर्या पुरी की फ़िर नाश्ता,चाय वगेरा,फ़िर सब फ़िट १० बजे हम यंहा से आगे के लिये निकले,आगे निकलने से पहले हमने दो बडी थर्मश ठ्ण्डे पानी की भर ली थी बाकी नयी बोटल पिछे फ़्रिज मे रख दी, बच्चे लेपटाप पर अपनी फ़िल्म वगेरा देखने लगे ,मे मस्ती मे १३० कि, मी की रफ़तार अपनी मंजिल की ओर बड रहा हु, चारो ओर बहुत ही खुबसुरत नजारे कही किसान खेतो मे काम कर रहे हे, कही झुड की झुड गाय चार रही हे पुरा आकाश नीला, सुर्या देवता जेसे आज हमारे स्वागत मे बहुत खुश हो, कुछ ऎसी ही खुशी थी जेसी भारत आने के वक्त होती हे, बच्चो ने भी लेपटाप बन्द कर दिया , सब बाते करते करते कब मंजिल के पास पहुच गये पता भी नही चला, अब नेविगेशन ने इशारा दे दिया हाईबे छोडने का अगले २० कि मि पर हम ने हाइबे छोड दिया, हाईबे से इकलते ही सामने पेसे देने के लिये ( टोल्टेक्स) अलग अलग एकंउटर बने हे,यहा भी कोई आदमी नही दिखाई दिया, आप पर्जी ( जो हाईवे शुरु होने से पहले) वहा लगी मशीन मे डालो उपर आप का बिल आ जायेगा, अब आ चाहे नगद भुगतान कर दो या फ़िर मेरी तरह से क्रेडिट कार्ड से, हम ने यहा ३८,€ दिये,
अब यहा से १२० कि मि का रास्ता तय कर के २, बजे के करीब हम अपनी मंजिल तक पहुच गये, हम ने एक बगले मे अपना अपर्ट्मेन्ट बुक कर दिया था, दो महीने पहले ही, यह रोम से ३६ किमी दुर था ,
लेकिन सस्ता होने के साथ साथ हमे खाने की भी कोई मुस्किल नही थी, ओर हर २० मिन्ट पर रोम के लिये ट्रेन चलती थी, बगले का मालिक कोई जर्मन था, उस की बीबी ईटली की थी, नमस्ते बगेरा के बाद,हमे हमारा टिकाना दिखाया गया, ओर चाबिया हमारे हवाले की, हम ने कमरे मे पहुच कर सब से पहले अपने अपने बिस्तर पर कब्जा किया थोडा आराम किया फ़िर सब ने स्नान किया,बीबी चाय बना लाई ओर बच्चो ने दुध लिया, अब शाम के ७ बज गये थे,हम सब फ़िर से तरोताजा हो गये थे, सोचा थोडा आसपास घुमाअये, सो हम शहर की तरफ़ निकल गये इस शहर का नाम (ब्रीचीयानॊ ) था, अजीब नाम हे ना( झुमरीतलेया रखते तो कितना प्यारा होता ) चलो हमे कया शहर मे हम ने कुछ समान खारीदा दुसरे दिन नाशते के लिय़े, पानी ओर जुस की बोटल ली फ़िर साथ मे ही छोटा सा समुन्द्र था वहा चले गये,वहा विडियो फ़िल्म ली थोडा ओर घुमे रात को १० बजे फ़िर अपने टिकाने पर आ गये,सब ने मिल कर रात का खाना तेयार किया ,डईनिग टेबल पर लगया फ़िर खा ,हम सब बेठ कर दुसरे दिन का प्रोगराम बनाने लगे, इतनई देर मे बगले के मलिक मल्किन आ गये, उन हओ ने हमे काफ़ी कुछ नया बताया जो की हमारी जान कारी मे नही था, ओर उस जान कारी के कारण हम कम समय मे बहुत ज्यादा घुम पाये,अब रात के करीब १,०० बजने को था, सो हम ने उन से शुभ रत्रि कही ,ओर सब सोने चले गये मेने दो बीयर ली थी सो जाते ही सब मधुर नीद मे चले गये,
चलिये अब आप लोग भी आराम किजिये कल आप को रोम घुमऎ गे, अरे रुको दो चार फ़ोटो देख कर जाना. बिर्चियानो के सी की फ़ोटो रात ९,०० बजे के करीब

2 comments:

  1. अरे इसको आप छोटा सा समुद्र कहते है!!! यह तो बहुत बडा है। हमारे राज्य मे एक भी समुद्र नही है। :)

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