10/05/08

लालची कुत्ता

बच्चो, अरे कया कर रहे हो , आओ आज तुम्हे एक कहानी सुनाउ, यह कहानी एक ऎसे लालची की हे जो लालच मे पढ कर अपने हाथ की चीज भी खो देता हे... तो सुनाउ कहानी...
इस कहानी का नाम हे लालची कुत्ता पता हे ना लालच बुरी बला हे...
एक बार एक कुत्ते को कई दिनो तक कुछ भी खाने को नही मिला,बेचारे को बहुत भुख लगी थी, अब करे तो कया करे, तभी किसी ने उसे एक पुरी रोटी दे दी, रोटी ले कर कुत्ता जब खाने लगा तो उस ने देखा दुसरे कुते भी उस से रोटी छीनना चाहते हे, तो वह कोई सुरक्षित जगह देखने लगा, ओर वहां से चुपचाप खिसक गया, आगे जाने पर उसे एक लकडी का पुल नजर आया सकरा सा, उस कुते ने सोचा चलो दुसरी तरफ़ जा कर खाता हू इस रोटी को.
ओर बच्चो डरते डरते कुता उस सकरे पुल से दुसरी तरफ़ जाने के लिये चल पडा, तभी उस की नजर पानी मे पडी तो देखता हे एक कुता पुरी रोटी मुहं मे दबाये नीचे पानी मे खडा हे, समझ गये ना वह अपनी परछाई को ही दुसरा कुता समझ रहा था,अब कुते ने सोचा मे यह रोटी भी इस से छीन लु तो भरपेट खा लु गा, ओर वो रोटी छिननए के चक्कर मे भोकां ओर पानी मे उस कुते पर भोंका, कुते के मुहं खोलते ही उस की रोटी पानी मे गिर गई, ओर बह गई,ओर उस बेचारे को फ़िर से भुखे पेट ही सोना पडा. :) तभी तो कहते हे लालच बुरी बला हे

9 comments:

  1. बढ़िया कहानी लगी सच है कि लालच बुरी बलाय
    जो लालच मे पड़ गया उसका हो गया बेडा गर्त
    बहुत सुंदर आभार

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  2. बालसाहित्य के प्रकाशन का रुझान स्वागत योग्य है . वरना नयी नस्ल कैसे समझेगी अपनी विरासत को. कुछ पौराणिक दृष्टान्त भी लिखियेगा.

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  3. बहुत ज्ञापप्रद कहानी है राजीव जी। लिखते रहिए।

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  4. बहुत ज्ञापप्रद कहानी है राजीव जी। लिखते रहिए।

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  5. प्रेरक....वाकई लालच बुरी बला है.

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  6. जय श्री गुरुवे नमःसोचो जिसने तुम्हें सुंदर सृष्टि दी , जो किसी भी प्रकार से स्वर्ग से कम नहीं है , आश्चर्य ! वहां नर्क (Hell) भी है । क्यों ? नर्क हमारी कृतियों का प्रतिफलन है । हमारी स्वार्थ भरी क्रियाओं मैं नर्क को जन्म दिया है । हमने अवांछित कार्यों के द्वारा अपने लिए अभिशाप की स्थिति उत्पन्न की है । स्पष्ट है कि नर्क जब हमारी उपज है , तोइसे मिटाना भी हमें ही पड़ेगा । सुनो कलियुग में पाप की मात्रा पुण्य से अधिक है जबकि अन्य युगों में पाप तो था किंतु सत्य इतना व्यापक था कि पापी भी उत्तमतरंगों को आत्मसात करने की स्थिति में थे । अतः नर्क कलियुग के पहले केवल विचार रूप में था , बीज रूप में था । कलियुग में यह वैचारिक नर्क के बीजों को अनुकूल और आदर्श परिस्थितियां आज के मानव में प्रदान कीं। शनै : शनैः जैसे - जैसे पाप का बोल-बालहोता गया ,नर्क का क्षेत्र विस्तारित होता गया । देखो । आज धरती पर क्या हो रहा है ? आधुनिक मनुष्यों वैचारिक प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि हुयी है । हमारे दूषित विचार से उत्पन्न दूषित ऊर्जा ( destructive energy ) , पाप - वृत्तियों की वृद्धि एवं इसके फलस्वरूप आत्मा के संकुचन द्वारा उत्त्पन्न संपीडन से अवमुक्त ऊर्जा , जो निरंतर शून्य (space) में जा रही है , यही ऊर्जा नर्क का सृजन कर रही है , जिससे हम असहाय होकर स्वयं भी झुलस रहे हैं और दूसरो को भी झुलसा रहे हें । ज्ञान की अनुपस्थिति मैं विज्ञान के प्रसार से , सृष्टि और प्रकृति की बहुत छति मनुष्य कर चुका है । उससे पहले की प्रकृति छति पूर्ति के लिए उद्यत हो जाए हमें अपने- आपको बदलना होगा । उत्तम कर्मों के द्वारा आत्मा के संकुचन को रोकना होगा , विचारों में पवित्रता का समावेश करना होगा । आत्मा की उर्जा जो आत्मा के संपीडन के द्वारा नष्ट होकर नर्क विकसित कर रही है उसको सही दिशा देने का गुरुतर कर्तव्य तुम्हारे समक्ष है ताकि यह ऊर्जा विकास मैं सहयोगी सिद्ध हो सके । आत्मा की सृजनात्मक ऊर्जा को जनहित के लिए प्रयोग करो । कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा । नर्क की उष्मा मद्धिम पड़ेगी और व्याकुल सृष्टि को त्राण हासिल होगा । आत्म - दर्शन (स्वयं का ज्ञान ) और आत्मा के प्रकाश द्वारा अपना रास्ता निर्धारित करना होगा । आसान नहीं है यह सब लेकिन सृष्टि ने क्या तुम्हें आसन कार्यों के लिए सृजित किया है ? सरीर की जय के साथ - साथ आत्मा की जयजयकार गुंजायमान करो । सफलता मिलेगी । सृष्टि और सृष्टि कर्ता सदैव तुम्हारे साथ है । प्रकृति का आशीर्वाद तुम्हारे ऊपर बरसेगा । *****************जय शरीर । जय आत्मा । । ******************

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  7. vah raj ji....mai to aapki sari kahaniya apne 4 sal ke bete ke liye jama kar raha hun roj rat ko ek kahani suna deta hun....

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  8. छोटा था तब इंग्लिश में पढ़ी थी ये कहानी.. हिन्दी में पहली बार पढ़ी.. और काफ़ी समय बाद भी.. बचपन याद आ गया..

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  9. महोदय ,
    आपके ब्लॉग को देखकर हर बार कोई नई चीज मिल जाती है । जिससे मेरा ब्लॉग भी दिन व दिन समृद्ध और सुंदर होता जा रहा है । अमिताभ , आमिर , शाहरुख़ जैसे ब्लोगेरों के बीच आप जैसे सुरुचिपूर्ण, शिष्ट एवं सहृदय ब्लोगर्स भी हैं जो ब्लोगिंग की दुनिया में बने रहने के लिए प्रेरित करते हैं अन्यथा हम टू कभी के ब्लोगिंग को अलविदा कह चुके होते ........................
    धन्यवाद ......... स्वामी सत्येन्द्र माधुर्य

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये