पराया देश Paraya Desh
मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
22/01/20
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संगीता जी आपने बहुत अच्छी तरह समझाया है मेरे ख्याल में लोग पढ़ते तो है लेकिन कॉमेंटनहीं दे रहे लेकिन आपकी मेहनत धीरे धीरे रंग लाएगी
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संगीता जी आपने बहुत अच्छी तरह समझाया है मेरे ख्याल में लोग पढ़ते तो है लेकिन कॉमेंटनहीं दे रहे लेकिन आपकी मेहनत धीरे धीरे रंग लाएगी
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28/07/17
आज के इंसान की सच्चाई
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Rajni Kapoor · मैं थक-हार कर काम से घर वापस जा रहा था। कार में शीशे बंद होते हुए भी..जाने कहाँ से ठंडी-ठंडी हवा अंदर आ रही थी…मैं उस सुराख ...
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22/07/17
साध्यबेला.
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साध्यबेला. . . सुबह से तीन बार पढ़ चुके ईमेल पर एक बार पुनः देवव्रत की निगाहें दौड़ने लगी थीं. लिखा था- “पापा, कल दीपक चाचा आए थे. उनसे पता च...
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12/07/17
हाउसवाइफ़
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Rajni Kapoor हाउसवाइफ़ . प्रज्ञा को रिसेप्शन हॉल में बिठाकर नितिन न जाने किधर गुम हो गए. प्रज्ञा उस डेकोरेटेड हॉल और उसमें विचरती रूपसियों क...
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